पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३५७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२०२ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास 'चित्रणी,हस्तिनी’ और ‘शंबिनी'; औरइसी क्रम में ‘शश, ‘हिरन, बृषभ, ‘अश्ध’। मथुरासाद५ मि बनारस क लेज के, रचयिता हैं : १. ‘बाह्य-प्रपंचदर्पणु'बाहरी बातों का दर्पण के, डॉ० मान (Mann) कृत ‘Lessons in general knowledge' का हिन्दी अबाद, उत्तरपश्चिम प्रदेश के शिक्षा विभाग के संचालक की आज्ञा से मुद्रित ; , १८६१, चित्रों सहित ३०६ अठपेजी पृष्ठ; द्वितीय संस्करणबनारस, १८६६, २०६ अठखेजी पृष्ठ, और छः प्लेट। श्री एफ़० ई. हॉल ने हिन्दी रीडर’ में उससे उद्धरण । दिए हैं : २ ‘लघु कौमुदी' की चाँदनी—के, हिन्दी में रूपान्तरित अँगरेजी व्याकरण के बनारस, १८४६; ३. तत्व कौमुदी'—कौमुदी का सार—के, हिन्दी में संस्कृत व्याकरण के बनारस१८६८, १६० अठपेजी पृष्ठ ; ४ अँगरेजी, उर्दू और हिन्दी में ट्राइलिंग्वल डिक्शनरी के, १३०० अठपेजी पृष्ठों की बड़ी जिल्द, जिस पर मैंने १८६६ के Ethnographic Reriew’ ( मानव-जाति-विवरणसम्बन्धी पत्र) में एक लेख दिया है ; ५. अंत में इस समय उन्होंने संस्कृत और हिन्दी में, हिन्दी रीडर' में उल्लिखित ‘बृहचाणक्य' का एक संस्करण प्रस्तुत किया है । । १ मा० हिन्दुओं के पवित्र नगर मथुरा का दिया हुआ'