पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३५९

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२०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास मनोहरलाल ने सरकारी पुस्तकों के संरक्षक, श्री जे० पी० लेड़ली (Lelie, के निरीक्षण में ‘वालोपदेश' बच्चों को उपदेश, शीर्षक से हिन्दी की सचित्र अक्षरावली संकलित की। है । यह रचना आगरा और लाहौर से कई बार छप चुकी है । बह सैयद शुध्दुल्ला कृत ‘तशीलु- ताली’ ( Tashil utta Lim ) शीर्षक उर्दू रचना का अनुवाद बताई जाती है। महदी ( मिर्जा महदी ) ने १२११ ( १७४६-१७६७ ) में, ‘बा-इ बहार'वसंत ऋतु का बाग़नूशीर्षक के अंतर्गत, हिन्दुस्तानी में ‘अनबर-इ सुहेली' का अनुवाद किया है। बिहात् ० ई० हॉल से मुझे ज्ञात हुआ है। कि यह आनुवाद अन्तर्वेद की बोली, अर्थात् शुद्ध भाखा में, जैसा कि रचयिता ने अपनी भूमिका में कहा है, न हो कर उस बोली में हैं जो वास्तव में हिन्दी कही जाती है, सिंहासन बत्तीसी' और ‘बैताल पचीसी' के अनुरूप । उनकी रचना १६-१६ पंक्तियों के २०५ चौपेजी पृष्ठों के आकार की है । इश्की के आधार पर, डॉ० स्फंगर ( Sprenger) ने एक मिर्जा महदी का उल्लेख किया है, जो शायद यही हैं। महानद ‘आईनई अकबरी, जिल्द २, ४० १०२ में उल्लिखित उलु १ भा० कृष्ण का निय’ २ अ० अंतिम इमाम का नाम 3 भा० महानंदअत्यधिक आनंद । इससे चिरंतन आनंद का अर्थ लिया। जाना है। !