पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३६६

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मिर्जायी [ २११ A h मज़या नैमुल्ला स्वर्ण के पुत्र मुहम्मद अली स्त्राँ मिर्जायी” देश के वजीर नवाब शुजाउद्दौला के दरबार से संबंधित थे। उनमें काव्य- प्रतिभा थी और वे संगीत में अत्यन्त कुशल थे । अली इत्राहीम ने उनकी केवल दो कविताओं का उल्लेख किया है । मैं नहीं जानता यदि यह लेखक और ‘अयार दानिश' के हिन्दुस्तानी अनुवाद, ‘खि आरोब, के संशोधकों में से एक, और बिद्या दर्पनअथवा विज्ञान का दर्पण शीर्षक हिन्दुस्तानी रचना के लेखक अवध के निवासी मुंशी मिर्जायी बेग एक ही हैं। यह अंतिम रचना श्री लाल कवि की लगभग दो शताब्दी पूर्व पूर्वी भाखा या पूर्व हिन्दी नाम की बोली में लिखी गई अवध ‘ विलास' या अवध के आनन्द शीर्षक रचना के अनुकरण पर लिखी गई है । उसमें राम की कथा और भारतवासियों में प्रचलित विद्यार्थों का छोटा-सा विश्वकोष है । उसे एक अत्यन्त सुन्दर हिन्दी रचना समझा जाता है : वह उस प्रकार की हिन्दी बोली में लिखी गई बताई जाती है जिसे सिपाही बोलते हैं, मैं नहीं जानता यदि वह प्रकाशित हो गई है , १८१४ में वह प्रेस भेजे जाने के लिए तैयार थी । १ मिौयों राज्य २ छत्र प्रकाश' के लेखक इस लाल कवि में और उनके नामराशि लल्लू जी लाल कृवि में गड़बड़ नहीं होना चाहिए । 3 रोएबक कृत 'ऐनल्स ऑव दि कॉलेज व फोर्ट विलियम, ७० ४२४ और ५२१