६. 'दीवान-इ जहाँ', हिन्दुस्तानी संग्रह, बेनी नरायन कृत;
७. 'गुलदस्ता-इ निशात', अथवा ख़ुशी का ग़ुलदस्ता, मन्नू लाल कृत, फ़ारसी और हिन्दुस्तानी में एक प्रकार का वर्णनात्मक संग्रह।
इन रचनाओं में से सबसे अधिक बड़ी रचना अली इब्राहीम की है।[१] उसमें लगभग तीन सौ कवियों के संबंध में सूचनाएँ, और उनकी रचनाओं से प्रायः बड़े-बड़े उद्धरण हैं। लेखक ने इस जीवनी को जो 'गुलज़ार-इ इब्राहीम' या अब्राहम का बाग़, शीर्षक दिया है, उसका सम्बन्ध अपने निजी नाम और साथ ही पूर्वपुरुष अब्राहम से है।[२] हमारे जीवनी-लेखक ने १७७२ से १७८४, बारह वर्ष तक इस ग्रन्थ पर परिश्रम किया। उस समय वह बंगाल में, मुर्शिदाबाद में रहता था।
जिन अन्य रचनाओं का मैंने उल्लेख किया है उनके सम्बन्ध में मैं कुछ न कहूँगा; उनके रचयिताओं से सम्बन्धित लेखों में उनके बारे में कहा जायगा।
दुर्भाग्यवश ये तज़्किरे बहुत कम सन्तोषजनक रूप में लिखे गए हैं। उनमें प्रायः उल्लिखित कवियों के नाम और उनकी प्रतिभा के उदाहरणस्वरूप उनकी रचनाओं से कुछ पद्य उद्धृत किए हुए मिलते हैं। अत्यधिक विस्तृत सूचनाओं में, उनकी जन्म-तिथि प्रायः कभी नहीं मिलती, मृत्यु-तिथि
- ↑ मेरे पास उसकी दो प्रतियाँ है। सबसे अधिक प्राचीन, 'शाह-नामा' के संपादक, स्व॰ टर्नर मैकन (Turner Macan) की है; दूसरी मेरे आदरणीय मित्र श्री ट्रौयर (Troyer) के माध्यम द्वारा, भारत में, मेरे लिए उतारी गई थी। पहला, यद्यपि शिकस्ता में लिखा हुई है, बहुत सुंदर नस्तालीक में चित्रित दूसरी से अच्छी है; किन्तु दोनों में भद्दी ग़लतियाँ और वैसी ही भूलें पाई जाती हैं, विशेषतः दूसरी में।
- ↑ इस अंतिम संकेत को समझने के लिए, यह जानना ज़रूरी है कि, मुसलमानों के अनुसार, अग्नि-पूजा के संस्थापक, निमरूद (Nemrod) ने, विश्वासियों के पिता द्वारा इस तत्व की पूजा अस्वीकृत होने पर, अब्राहम को एक जलती हुई भट्ठी में फेंक दिया था, किन्तु यह भट्ठी फूलों की क्यारी में परिवर्तित हो गई।