पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३७४

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मुकुन्द सिंह 1 २१६ है, सार्च १८६८ से छोटे फ़ोलियो पृष्ठों के आकार की कॉपी के रूप में, दो कॉलमों में, एक में हिन्दी, देवनागरी अक्षर, दूसरे में उर्दू , फ़ारसी अक्षर । इस पत्र में कभीकभी चित्रों सहित विज्ञानसंबंधी रोचक लेख और ऐतिहासिक, भूगोल-संबंधी तथा साहिस्त्रिक लेख प्रकाशित होते हैं । मेरे विचार से उम्मेद सिंह द्वारा रचित 'भगवद्गीता’ का जो पाठ और उर्दू अनुवाद है, उसमें प्रकाशित हुआ है । मुकुन्द राम ने लाहौर से ‘तिथि पत्रिका- चन्द्रमा के अनुसार दिनों का पत्र - शीर्षक के अंतर्गत संवत् १२६ ( १८६६ ) का हिन्दी पंचांग, और एक दूसरातबीम( Tacwim ) नाम से उर्दू में, प्रकाशित किया है । मुकुन्द सिंह सरवर द्वारा हिन्दी कवि के रूप में उल्लिखित दिल्ली के ब्राहण हैं। क्या ये वेदान्त-सम्बन्धी रचना ‘विवेक सिंधुज्ञान का समुद्र--ऑॉर ‘परसामृत’सन्तम अमृत, जिसके विषय से मैं अनभिज्ञ हैं, के रचयिता मुकुन्द राजा ही तो नहीं हैं ? ये अंतिम लेखक जनार्दन द्वारा अपने ‘कधि चरित्र' में उल्लिखित हैं । मुक्तानंद’ ( स्वामी ) ‘विवेक चिन्तामणि’-निर्णय के सोचविचार का मणि-शीर्षक हिन्दी रचना के रचयिता हैं, जिसमें अनेक उपदेश और धर्म पर अच्छे विचार दिए गए हैं के आहमदाबाद, १८६८१५० अठ पेजी पृष्ठ । १ देखिए इन पर लेख २ भा० ‘मोक्ष जिसका ध्येय हो’