पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३७६

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मोरोपंत ( पंडित ) f २२१ है जिसकी, मेरे निजी संग्रह में, प्रारसी अक्षरों और छः पंक्तियाँ के बंद में लिखी हुई एक प्रति है । वह ब्रजभाषा में है, और उसका शीर्षक है किस्सा-इ माधोन’ या ‘माधोनल का किस्सा। ‘माधोनल, नायिका का नाम है : नायक का नाम ‘काम कन्दला है । कलकत्ते की एशियाटिक सोसायटी के पुस्तकालय की पुस्तक सूची में मोती राम कृत तर्जमाइ माधोनल आटाली’ यानी माधो नल का तजेमा, शीर्षक एक ग्रंथ का उल्लेख हुआ है , किंतु क्योंकि यह कहा गया है कि यह रचना नागरी अक्षरों में छपी हुई है, मेरा विचार है यह विला आदि का रूपांतर होनी चाहिएपृष्ठ २३४ पर उल्लिखित औरजिसके बारे में मैं विला पर लेख म कहूंगा। २. मोती राम गय में किसानई दिलाराम ओ दिलरुवा', दिलाराम और दिलखुवा का कि रसा, शीपक एक और किस्से के रचयिता हैं, रचना जिसकी एक प्रति इस शीर्षक के अंतर्गत य: कने की एशियाटिक सोसायटी के पुस्तकालय में पाई जाती है, और दूसरी किताब-इ दिलरुबा' शीर्षक के अंतर्गत । मोरोपंत ( पंडित ) एक ब्राह्मण थे जिनके पिता का नाम बापू जी पंत था। उनका जन्म कोल्हापुर में शक संवत् १६५१ में हुआ था । १७१० में वे १ काम कन्दला स्वर्गीय Ch.d 'Ochoa ने भारत में मोती राम की रचना की देवनागरी अक्षरों में एक हस्तलि खत प्रति की सूचना दी है और अब यह" हस्तलिखित प्रति जिंकीय पुस्तकालय में पाई जाती है। २ यह शखद संभवत: नायक का उपनाम है ।