पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३७७

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। २२२ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास काशी गए । वे शक-संवत् १७१६ ( १७६४ ई ) में पैंसठ वर्ष को अयस्था में मुख्यु को प्राप्त हुए । उनका कुढंव अब तक पंडरपुर में रहता है। उन्होंने प्राकृत (हिंदी ) में निम्नलिखित रचनाओं का निर्माण किया : १. ‘परंतु रामायण २- 'दान रमायण ३. 'नीरोष्ठ रासाय’ ४. मंत्र रामायण’ ५. ‘अग्नि वेश्य रामायण ६. भविष्य रामायण’ ७. ‘भावार्थ रामायण१ ८. ‘मयूर पन्थी रामायण . हनुमंत रामायण’ १०. 'केकाबलीर मोहन लाल ( पंडित ) पहले सर एलेग्जैन्डर बन्र्स के , बाद को मथुरा जिले के तहसीलदार, रचयिता हैं : १.बीज गणित' के - बीज गणित के प्राथमिक सिद्धान्त, श्रीलाल १ यही रचना, या इसी शीर्षक की एक रचना, श्राह्मण एकनाथ स्वामी द्वारा रचित भो बताई जातो है । इस दूसरे व्यक्ति का, जो भारत में प्रसिद्ध प्रतीत होता , यहाँ तक कि वह केवल ‘भागवत' नाम से शात हैं, लेख पहली जिल्द, ५० ४३०, में हुआ है, और वहाँ पर भावार्थ रामायण ' वाल्मोकि कृत ‘रामायण’ की

. टीका बताई गई है। पकनाथ का अर्थ है अकेला ' स्वामो, अर्थात् संभवत:
- विष्णु ।

३ या फीरोजाबाद के, 'सेलेक्शन्स फ्रॉम दि रेसॉर्ट्सस व गवर्नमेंट' ८५४, पृ१० २६७ के आधार पर । - .