पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३७८

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मोहन लाल ( पंडित ) [ २२३ • की सहकारिता में, दो भागों में, पहला १३० पृष्ठों का और दूसरा ११३ पृष्ठोंअठखेजीबनारस, १८६१ । यह रचना आगरें से भी प्रकाशित हुई है, और उसका एक उ-अनुवाद मिलता है । 'सवालात बीज गणित' बीज गणित पर प्रश्न -शीर्षक एक और उनकी हिन्दी रचना है । ) २. पहले, चौथे, और छठे भाग को छोड़ कर सोहन ने ‘उर्दू में यूकलिड के प्राथमिक सिद्धान्त’ का आनुवाद किया है, और एच० एस० रीड (Reid ) ने ममलूक अली के अनुवाद की अपेक्षा इसे पसन्द किया है। ३. श्रीलाल की सहकारिता में उन्होंने ‘रेखा गणित ' के पहले दो भागों का हिन्दी रूपान्तर किया है, जिनमें से पहले का उन्होंने बाद को उर्दू में अनुवाद किया, और दूसरे का बंसीधर ने, और जो ‘मबादी उहिसाब' के प्रथम् भाग में हैं, जो ‘Rale of three तक चलता है ; और दूसरा भाग Rule of three से ‘Cube Root' तक चलता है । कोह-इ नूर' छापेस्त्राने, लाहौर से उसका एक संस्करण हुआ है । ४. उन्होंने स्वय अकेले ही रेखागणित पर इस रचना के तृतीय भाग का अँगरेजी से अनुवाद किया है, जिसमें यूलिड की छठी दसवीं और बारहवीं पुस्तकें हैं । १ बंसीधर पर लेख देखिए । ‘मवादा उल्हिसाब' में चार माग है, पहले तीन छपे हुएऔर चौथा लीथो में है । पहला १८५ में रुड़की से, ७८ अठपेजो पृष्ठ ; दूसरा १८६० में इलाहाबाद से, ७२ पृ< ; तोसरा १८६० में रुड़की से, ४४ १०, और चौथा १८५६ में आगरे से, ॰ ६४, प्रकाशित हुआ है। २ एच० एस० रीड ( Reid )रिपोर्ट, आगरा१८६४, ३० १५७, में कहते हैं कि 'मवादी उ हिसाब' का द्वितीय भागजिसमें सोसायटी के नियमानुसार Cube roots हैं, साथ ही चौथा, जिसमें गणित के प्राथमिक सिद्धान्त और दशमलव से लेकर Geometric Progression तक है, मोहनलाल और यंसोधर द्वारा लिखा गया था ।