पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३८२

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योगध्यान सिंमन ( पंडित ) [ २२७ अबंती के राजामानतुंग, ने अपनी मनवती नामक ली की, उससे अपने विवाह के कुछ समय बाद, शिकायत सुन कर उसे एक अलग महल में बन्द कर दिया; बह निकल कर भागी और विभिन्न वेषों में, अपने पति को संगत का आनन्द उठाने लगी ; बह गर्भवती हुईऔर जब मानतुंग दक्षिण के राजा दलथम्भ की कन्या से विवाह करने गया हुआ था, उसने एक पुत्र को जन्म दिया । उसके पति राजा के लौटने पर, सब बातें स्पष्ट हुई , और तत्पश्चात् वे प्रसन्नतापूर्वक रहने लगे ।' योगध्यान मिश्र ( पंडित ) प्रेस सागर' के एक संस्करण के संपादक हैं; कलकत्ता, अठपेजी। रघुनाथ* ( पंडित ) एक हिन्दी लेख हैं जो शक-संवत् १७०० ( १६२९ ई०) में जीवित थे, और जिनकी देत है : नल दमयन्ती स्वयंवर आख्यानम्’--नल और दमयन्ती के स्वयंवर की कथा अर्थात् उस रोचक कथा के अनेक रूपान्तर में से एक जिससे सर्वप्रथम बॉप ( Bo ) ने नास(Nalus ) शीर्षक के अंतर्गत यूरोप को परिचित कराया था; और जिसने निश्चित रूप से विद्वन्मण्डली में संस्कृत का अध्ययन लोक प्रिय बनाया। १ आधुनिक उज्जैन २ देखिए मैकेन्जी कलेक्शन, जि० २, ६० १९४ 3 भा० उपयुक्त ध्यान’ ४ भा० रघु का स्वामी’, राम का दूसरा नाम