पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३८५

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२३०] हिंदुई साहित्य का इतिहास हुए, की प्रिय पत्नी । उनका उल्लेख योग्यता के साथ लिखे गए हिंदी छन्दों की रचयिता के रूप में 'शेर शाह' शीर्प इतिहास में हुआ है । शेरशाह की आज्ञा से अपने क्षेत्र में में घिर जाने के कारण आर यह जानते हुए कि वह प्रण लिए बिना नहीं रहेगा. उनके पति ने, १५२८ के लगभग, आशंका से प्रेरित हां, खास अपने हाथ से, इस रानी का सिर काट डाला ।' क्रूर सुलतान शेरशाह का प्रतिशोध अकेले पूरनमल तक ही नहीं रहा, उसने उनके तीन पुत्रों को नपुंसक बनाने की आज्ञा दी; उनकी लड़की से जहाँ तक संबंध है, वह बाजीगरों को बाजीगरी का खेल दिखाने में सहायता करने के लिए दे दी गई । रत्नेश्र* ( पंडित ) अंगरेजी में, सीहोर के रेजीडेंट एल: विकिन्सन के कहने से, आगरा स्कूल बुक सोसायटी द्वारा मुद्रित, ‘ Journey from A Schore to Bombay in a series of letters, शीर्षक ग्रंथ के रचयिता हैं; आगरा१८४७अठपेजी पुस्तिका। क्या. ये वही पण्डित रत्नेश्वर तिवारा बन्बन तो नहीं हैं जो बनारस के साarहिक, सुधाकर अखबार' शीर्षक पत्र के संपादक, और पत्र की भांति ही, ‘सुधाकर’ नामधारीबनारस के ओपेलाने के संचालक हैं। यह पत्र प्रारंभ में दो कॉलमों में निकलता था, एक हिन्दी में और दूसरा उर्दू में, जैसा कि भाषण देने वालों की सुविधा के लिए भारतवर्ष में प्रायः किया जाता है, देवनागरी अक्षर १ पूरनमल और उनके आायम को अन्त करने वाल। घटना के संबंध में हिस्ट्रा व शेरशाह' ( शेरशाह का इतिहास ), मेरा इस्तलिखित प्रति का खु० , और ‘ए चैप्टर ऑध दि हिस्ट्री ऑथ इंडिया’ ( भारतीय शतिहास का एक अभ्याय ) के पृ० १३० में, विस्तृत विवरण पाया जाता है। २ भा० ‘हीरों का राजा'