पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३८७

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२३२ 1 हिंदुई साहित्य का इतिहास रसिक सुन्दरम पचों में ‘गंगा भक्त'के गंगा -गंगा भक्तशीपक के एक इति हास के रचयिता हैं, और जिसे‘जनरल कैटेलौग' में बनारस, ‘गजट प्रेस’, से प्रकाशित हुआा कहा गया है । राजदनपत” ( DanPat ) -। बुंदेला, टॉस ऐनल्स ऑव राजस्थान' में उल्लिखित आाम कथात्मक संस्मरणों के रचयिता हैं । रागरा४ सिंह भारतवर्ष में मुद्रित रचना,‘रुक्मिणी परिणय-का -रुक्मिणी कृष्ण के साथ विवाह के रचयिता हैं । रागसागर ( श्री कृष्णानंद व्यासदेव ) गौड़ ब्राह्मणऔर मेवाड़ प्रान्त में, उदयपुर में, देव गर्व- कोट के निवासी । वे बारह लाख पचीस हजार ( १२२५, ००० ) लोकप्रिय बंदों के संग्रह, राग कल्पढ़म' के रचयिता हैं । इस रचना का छपना, कलकत्ते से १८६६ संवत् १२४६ बंगाली ( संवत् और १८४२ ईसवी सन् ) से प्रारंभ हुआ। , १४०२ संघ १४ १ भा० ‘रसपूर्ण सौंदर्य ’

भा० ‘राजा का दिया हुआ स्वामी'

ड भा० ( संगीत शैलियों ) रागों का राजा’ । ४ वस्तुतः इस शब्द का अर्थ एक गहना है जिसे लियाँ गले में पहिनतो है। ‘‘कानूनआई इस्लाम' ) ५ भा०९रागों का समुद्र’। यह शब्द वास्तव में एक उपाधि है जो दिल्ली के सुलतान ने यह संग्रह प्रस्तुत करने के उपलक्ष्य में रचयिता श्रो यह शीर्षक को दी ; उसका कविता का नाम या तखल्लुस होना चाहिए।