पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
१२]
हिंदुई साहित्य का इतिहास

के शासन-काल में रहने वाले कवियों का विवरण, है। लेखक ने तो इस बात का उल्लेख नहीं किया, किन्तु यह कहा जाता है कि उसमें उल्लिखित अनेक कवियों ने फ़ारसी में लिखा, लोगों का अनुमान है कि अन्य ने हिन्दुस्तानी में लिखा; और वह एक उर्दू का जीवनी-ग्रन्थ ही है। मैं ये दोनों तज़्‌किरे नहीं देख सका; किन्तु यदि, जैसी कि मुझे आशा है, दूसरी जिल्द छपने से पूर्व मुझे उनके सम्बन्ध में सूचना प्राप्त हो गई, तो निस्संदेह उनके द्वारा मुझे नवीन और अजीब बातें ज्ञात होंगी।

मौलिक जीवनियाँ जो मेरे ग्रन्थ का मूलाधार हैं सब अकारादिक्रम से रखीं गई हैं। मैंने यही पद्धति ग्रहण की है, यद्यपि शुरू में मेरा विचार काल-क्रम ग्रहण करने का था : और, मैं यह बात छिपाना नहीं चाहता कि, यह क्रम अधिक अच्छा रहता, या कम-से-कम जो शीर्षक मैंने अपने ग्रन्थ को दिया है उसके अधिक उपयुक्त होता; किन्तु मेरे पास अपूर्ण सूचनाएँ होने के कारण उसे ग्रहण करना कठिन ही था। वास्तव में, जब मैं उसके सम्बन्ध में कहना चाहता हूँ, मौलिक जीवनियाँ हमें यह नहीं बतातीं कि उल्लिखित कवियों ने किस काल में लिखा; और यद्यपि उनमें प्रायः काफ़ी अवतरण दिए गए हैं, तो भी उनसे शैली के सम्बन्ध में बहुत अधिक विचार नहीं किया ज़ा सकता, क्योंकि प्रतिलिपि करते समय उनमें ऐसे पाठ-सम्बन्धी परिवर्तन हो गए हैं जो उन्हें आधुनिक रूप प्रदान कर देते हैं, चाहे कभी-कभी वे प्राचीन ही हों। जहाँ तक हिन्दुई लेखकों से सम्बन्ध है, उनकी भी अधिकांश रचनाओं की निर्माण-तिथियाँ निश्चित नहीं हैं। यदि मैंने काल-क्रम वाली पद्धति ग्रहण की होती, तो अनेक विभाग स्थापित करने पड़ते : पहले में मैं उन लेखकों को रखता जिनका काल अच्छी तरह ज्ञात है; दूसरे में उनको जिनका काल सन्देहात्मक है; अंत में, तीसरे में, उन्हें जिनका काल अज्ञात है। यही विभाजन उन रचनाओं के लिए करना पड़ता जिन्हें इस ग्रन्थ के प्रधान अंश में स्थान नहीं मिल सका। अपना कार्य सरल बनाने और पाठक की सहूलियत दोनों ही दृष्टियों से मुझे यह पद्धति छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ा।