पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३९०

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रम चरण [ २३५ राम चरण राम चरण ‘राम सनेहियों', अर्थात् ईश्वर के मित्रके, जो पश्चिमी भारत में फैले हुए हैं, हिन्दू संप्रदाय के संस्थापक हैं । राम चरण एक बैरागी थे जिनका जन्म संवत् १७७६ (१७१६ ईसवी सन् ) में जयपुर राज्य के सोर चसन ( Sorahchacen ) गाँव में हुआ था उन्होंने अपना पैत्रिक धर्म किस निश्चित समय में छोड़ा न तो यह ज्ञात है, न इस काम के कारण ही ज्ञात हैं, किन्तु वे बहुत शी मूर्ति-पूजा के विरोधी हो गए थे, और इस संबंध में ब्राह्मणों द्वारा अत्यधिक पीड़ित हुए थे । उन्होंने १७५० में अपना जन्मस्थान छोड़ा; और कुछ समय तक भटकते फिरने के बाद, वे संयोगवश उदयपुर राज्य में भीलवाड़ा पहुँचेजहाँ ये दो वर्ष तक रहे । इसके बाद राज्य के नरेश ( और वर्तमान राणा के पिता ), भीम सिंह, ने ब्राह्मणों द्वारा उसकाए जाने पर उन्हें इतना पीड़ित किया कि उन्हें नगर छोड़ने पर बाध्य होना पड़ा । शाहपुर के शासक ने, जिसका नाम भी भीम सिंह था, उनके दु:खों. द्रवीभूत हो, उन्हें अपने दरबार में शरण दी, और समुचित सशस्त्र रक्षा प्रदान की । राम चरण ने इस उदार प्रस्ताव से लाभ उठाया, किन्तु विनम्रतावश उन्होंने हाथियों और सेवकों के दल की, जो उन्हें सुरक्षित रूप में लाने के लिए भेजा गया था, स्वीकार करने से इंकार कर दिया, और १७६७ में शाहपुर पैदल ही पहुँचे हैं किन्तु ऐसा प्रतीत होता है कि इस नगर में वे दो वर्ष बाद ही, जब कि निश्चित रूप से उनके संप्रदाय की स्थापना हुई, अच्छी तरह से बस पाए थे । १ भा० राम के चरण