पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/३९३

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.. २३८ ? हिंदुई साहित्य का इतिहास ३. जिसे उनका एक ‘हितोपदेश' का हिन्दी रूपान्तर है, विद्वान श्री एम. हॉल, जिन्होंने अपनी ‘हिन्दी रीडर’ में उसका प्रथम भाग प्रकाशित किया है, हिन्दी में किए गए दो अन्य अनुवादों, अर्थात बद्रीलाल कृत और वह जिसका शीर्षक है ‘Chird-pttha’ Jolic Decture - की अपेक्षा अधिक पसन्द करते थे। ४. पंजाब के शिक्षाविभाग के संचालक स्वर्गीय मेजर फ़तर ( Fuller , की आज्ञा से उन्होंने इस प्रान्त के शिक्षाविभाग के बोर्ड की रिपोर्ट ( १८६१-१८६२ ) का अँगरेजी में अनुवाद किया है ) ४६ छोटे चौपेजी पृष्ठ। राम जोशी 'कवि चरित्र' में उल्लिखित, शोलापुर के ब्राह्मण ने, जो १६८४ शक संवत् ( १७६२ ) में उत्पन्न और पचास वर्ष की अवस्था में १७३४ ( १८१२ ) में मृत्यु को प्राप्त हुएअंद से जरी--छंदों का गुच्छा की रचना की । राम दया या दयाल ( पंडित ) रचयिता हैं : १. देश स्कूलों के लिए वृत्तांत वफादार सिंहू और गद्दार सिंह सचाई सिंह और प्रेम सिंह की कथा शीर्षक एक पुस्तक के हिन्दी अनुवाद के, २४ अठपेजी पृष्ठ, १८६८ में २००० प्रतियाँ मुद्रित । यह पुस्तक उर्दू में लिखित क्तिरसा-इ वादार सिंहका हिन्दी रूपा न्तर है, और मेरे विचार से ‘वृत्तांत धर्म सिंहभी यही है ; १ इसशब्द का अर्थ है 'नक्षत्र विशानो' अथवा ‘ज्योतिष' । २ भा० राम का दिया हुआ’ या ‘।म की दया’