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भूमिका


तो मैंने उन लेखकों को अकारादिक्रम से रखा है जिनके नाम मैं संग्रहीत कर सका हूँ, और तत्पश्चात्, परिशिष्ट शीर्षक के अंतर्गत, उन रचनाओं की सूची रख दी है जिनका जीवनियों में कोई स्थान नहीं हो सकता था; और यद्यपि हिन्दुस्तानी साहित्य का यह विवरण स्वभावतः बहुत पूर्ण न हो, यह है भी ऐसा ही, किन्तु मैं यह विश्वास करने का साहस करता हूँ, कि इसमें रोचकता का अभाव नहीं है : क्योंकि अभी इस विषय पर कुछ लिखा नहीं गया, और यूरोपियनों में हिन्दुस्तानी के अध्ययन के प्रचारक, स्वयं गिलक्राइस्ट हिन्दी के किन्हीं तीस लेखकों का उल्लेख मुश्किल से कर सके थे। आज, मेरे पास सामग्री की कमी होने पर भी, मैंने केवल इस पहली जिल्द में सात सौ पचास लेखकों[१] और नौ सौ से अधिक रचनाओं का उल्लेख किया है। प्रसंगवश, मैंने उर्दू-लेखकों की फ़ारसी रचनाओं का उल्लेख किया है और यह जानकर किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि काफ़ी हिन्दुस्तानी कवियों ने फ़ारसी छन्द और इसी भाषा में ही ग्रन्थ लिखे हैं, जो इस बात की याद दिलाते हैं कि रसीन (Racine), ब्वालो (Boileau), और चौदहवें लुई के काल के बहुत से अत्यधिक प्रसिद्ध कवियों ने यदि अपनी कविताओं में लेटिन के कुछ अंश न रखे होते, तो वे अपने कार्यों के सम्बन्ध में एक ख़राब धारणा उत्पन्न करने वाले माने जाते।

हिन्दुई के लेखकों की परंपरा बारहवीं शताब्दी से प्रारंभ होकर हम लोगों के समय तक आती है।[२] उत्तर के मुसलमान लेखकों की तेरहवीं


  1. मुझे यहाँ हिन्दुस्तानी रचनाओं के भारतीय संपादकों, और डॉ॰ गिलक्राइस्ट तथा अन्य यूरोपियनों द्वारा नियुक्त उनकी पुनर्निरीक्षण करने वालों के संबंध में कहना चाहिए था; किन्तु आगे अवसर आने पर उनके संबंध में कहना अच्छा रहेगा।
  2. संभवतः भारतीय नरेशों के पुस्तकालयों में प्राचीन काल की हिन्दी रचनाएँ है; किन्तु अभी तक यूरोपियनों को उनके बारे में ज्ञात नहीं है। लोकप्रिय गीतों से जहाँ तक संबंध है, वे तो निस्संदेह बहुत प्राचीन मिलते हैं; दूसरी जिल्द मैं मैं उनके संबंध में कहूँगा।