पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४०१

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२४६ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास रामानद बनारस, के फ़कीर या बैरागीप्रसिद्ध हिन्दू सुधारक, रामानुज के शिष्य और कबीर के गुरु, वैष्णवों के समस्त आधुनिक संप्रदायों के ( मध्यवर्ती ) सुधारक हैं। उनकी हिन्दी में लिखित कुछ धार्मिक कबिंताएँ हैं और जो ‘आदि ग्रंथ’ में सम्मिलित हैं । १४०० के लगभ, यही व्यक्ति थे। जिन्होंने ईश्वर के समक्ष, ब्राह्मणक्षत्रियवैश्य या , सब की समानता सर्वप्रथम घोषित की, और जिन्होंने सब को बराबर अपने शिष्यों के रूप में ग्रहण कियाजिन्होंने यह घोषित किया कि सभी भक्ति वाह्य रूपों तक ही सीमित नहींकिन्तु इन रूपों से अपर है। उन्होंने, अपने प्रधान शिष्य कबीर के बारे में कहा है, कि भले ही वे जुलाहे हों, ब्रह्मज्ञान के कारण वे ब्राह्मण हो गए हैं। ’ रामानु रमाqति। लोकप्रिय हिन्दी गीतों के रचयिता हैं ।

रायहै। ‘पोथी रामायण, अर्थात रामायण की पुस्तक, शीर्पक एक हिन्दुई ‘रामायण’ के रचयिता। फ़ारसी लिपि में लिखी हुई उसकी एक प्रति ब्रिटिश म्यूजियम में सुरक्षित है। उसकी रचना सात, आठ या नौ पंक्तियों के छन्दों में हुई है । १ भा० राम का आनन्द २. ‘दब्रिस्तान, शॉ. और ट्रॉयर ( Shea and froyer ) य अनुवाद , जि० २, पु० १८८ ३ भा० ‘भगवान रामराम का छोटा ( पुत्र )' ४ भा० या उत्तम रूप में,-‘रज सिड , राजा सिंह