पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४२३

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३६८ हिंदुई साहित्य का इतिहास १ जिन रचनाओं का मैंने उपर उल्ले बू किया है उनके अतिरिक्त ये भी लल्लू लाल कृत रचनाएँ कही जाती । हैं : , १. 'लाला चन्द्रिका’ -लाला के चंद्र की संयोति, ‘सतसई पर टीका ; ३. विनय पत्रिकाविनय की पुत्त, जिसके कलकत्ते आगरे और गाजीपुर से कई संस्करण हुए हैं। किन्तु इन अंतिम दो रचनाओं के वे केवल संपादक प्रतीत होते हैं, पहली कवि लाल या लाल कवि की है, और दूसरी तुलसी कृत । लाल लाल या लाल कवि, अर्थात् लाल जो कवि हैं, एक प्रसिद्ध हिन् चारणहिन्दी या ब्रज-भाखा पत्र में छन प्रकाश , या छत्र का इतिहास , रचना के रचयिता हैं, जो बुन्देलखण्ड के युद्धों और प्राचीन राजाओं के उत्तराधिकार क्रम पर, और बुन्देलों की युद्ध प्रिय जाति की वीरता, निर्भीकता और साहस पर आधारित है । यह रचना, जो ऐतिहासिक है, बुन्देलखण्ड के प्रधान शासक प्रसिद्ध राजा छत्र साल के, जिनके शासन के साथ-साथ उनके पिता, राजा चम्पत राय, के भी ब्योरेवार विस्तृत वर्णन उसमें हैं, जीवन काल और संभवतः उनकी अध्यक्षता में लिखी गई प्रतीत होती है 1 छत्र साल के पहले या बाद का कोई राजा मुसलमानी विजय की बाढ़ रोकनेमुगल सम्राटों में सबसे अधिक १ ‘लाला' -स्वान, गुरु--को मुसलमान अंत में ‘है। के साथ लिखते हैं, जो वैश्यों और विशेषतः कायरों की उपाधि है । इसी प्रकार मुसलमान ‘राजार’ के स्थान पर ‘राजाह' लिखते हैं, आदि। २ लाल—प्रिय । 3 छत्र प्रकाश