पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४२४

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लाल [ २६ सुयोग्य, सबसे अधिक साहसी और सबसे अधिक बीर औरंगजेब जो इसी समय में हिन्दुओं को पीड़ित करने वाला, अत्यधिक असहिष्णु और अत्यधिक प्रतिहिंसात्मक था, की चुनी हुई सेनाओं पर आक्रमण करने और खदेड़ने में उनसे अधिक सफल हुआ प्रतीत नहीं होता । अपनी मूर्तियों के तोड़े जाने, अपने मंदिरों के विध्वंस होने, या उनके मस्जिदों में बदले जाने के कारण हिन्दुओं का क्रोध भड़क उठा और वे विद्रोह करने पर कटिबद्ध हो गए । एक बार उनके न्यायसंगत क्रोव के भड़क जाने पर, छत्र का धार्मिक जोश, सैनिक धाक और सिद्धान्त, जो कभी अलग न हुएउन्हें विजय की ओर ले गए । इस सेनानायक, जो अपने गुणों और बीर चरित्र के कारण उनका विश्वासपात्र और उनका प्रिय बन गया था, के अंतर्गत उन्होंने अपने ऊपर अत्याचार करने वालों को तुरंत स्वदेड़ दिया । कैप्टेन डब्ल्यू० आर० पौरसन ने लाल की रचना का ‘ए हिस्ट्री ऑव बुन्देला" ( बुन्देलों का इतिहास ) के शीर्षक से गरेजी में अनुवाद किया है. , और मेजर डब्ल्यू- प्राइस ने इस रचना के एक अंश का अिसमें छत्र साल का इतिझास है, ‘दि छत्र प्रकाश नॉर बायोग्रफीकल ऐकाउंट अब छत्र साल एटमीद’ ( छूत्र प्रकाश अथवा छत्र साल आादि का जीवन-वृत्त ) शीर्षक के अंतर्गत पाठ दिया है । यह कवि, जिन्हें लाल-दास या लाला-दास भी कहते हैं, रचयिता हैं, २. ‘अवध बिलाल के १८ सर्षों में हिन्दी काव्य के, १ कलकत्ता, १८९८, चौवेजों २ वही, १८२है, अष्ठभेजा ( हितोय संस्करण में चौपेज बताई गई है--अनु० ) ७ ‘भक्तमाल' में ‘लालदास’ और कल कसे की एशियाटिक सोसायी के पुस्तकालय के संस्कृत के प्रन्थों के सूचोप में 'लालादास' अर्थात् कृष्ण ( नंद के लल ) क्रा दास 1