पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४२७

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२७२ G हिंदुई साहित्य का इतिहास . बारहों रथों का ए हिन्दी अनुवाद मिलता है, के दशम स्कंध' का रूपांतर ा अनुवाद के रचयिता। । मेरे पास इस ग्रंथ की एक हस्तलिखित प्रति है, जो भारत के पश्चिमी प्रान्तों की, पच्लम देस की भाखा, कही जाने वाली बोली में लिखी गई है, और जो तुलसी कृत रामायणके लगभग समान है। तुलो की भतिलालच का काव्य अनियमित रूप में दोहों से मिति चौपाइयों में लिखा गया है, औरजैसा कि प्रायः होता है, उनमें (दोहों में) कधि ने अपने नाम का उल्लेख किया है। इसी का रूपान्तर अथवा इसी स्कध के दूसरे अनुशादी को ‘सुख सागर शीर्षक भी दिया गया है । इस रचना की जो प्रति कलकत्ते को एशियाटिक सोसायटी के पुस्तकालय में है उसका शीर्षक ढंगता अक्षरों में दिया हुआ है। ‘व्र विलास, ब्रज भाखा’ -ब्र के ग्रानन्द, ब्रज की बोली में 13 मेरे विचार से यह वही पोथी है जो ‘न बिलास’ शीर्षक्र के अंतर्गत मुद्रित हुई । हैं, और जो कलकते की एशियाटिक सोसायटी के भारतोय पुकां के सू चोपत्र में, गा तो से, बाबू राम द्वारा रचित बताई गई , किंतु जपुहिन्दी को अन्य अनेक रचनाओं की भांति, इसके केबल संपादक हैं । मेरी प्रति में हाथ का लिखा हुआा एक नोट है जिसमें कहा गया है। कि इस रचना को, रचयिता का नाम, ‘लालच, भी दिया जाता है। १ भागवत दशम स्कंध -भागवत’ की दसवीं पुस्तक २ श्र भागवसशीर्षक के अंतर्गत । 3 यह सूचना मुझे भी पैव' ( Th. Pavie ) से मिली है । ४ इस काव्य का एवं संस्करण १८६४ मे आगरे से निकला है जिसका यह शं. है, २०८ बड़े अठजा १०८, देवनागरण अक्षरों में यह निज बिलास' फारसी में अनूदित हुआ प्रतीत होता है । देखिए ‘रू बनर्जी लिटरेरी रेकॉ' ( Trubner's Literary Record , संख्या ४५ ।