'मैं पारखियों के सामने अपनी रचना रखता हूँ, वैसे ही जैसे जौहरी से परखवाने के लिए रत्न।[१]'
वही है मेरे हर्फ़ का क़द्रदाँकि जौहर न बूझे बजुज़ जौहरी
(फ़ारसी लिपि से)