पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४३२

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व [ २७७ महराजों के संप्रदाय के इतिहास के रचयिता ने हमें ब्रज भाखा बोली की हिन्दुस्तानी ( अर्थात् हिन्दी ) में लिखित चौहत्तर ग्रन्थों की एक सूची दी है, जो वल्लभ सम्प्रदाय में प्रामाणिक ग्रंथ माने जाते हैं । इन ग्रंथों में से, प्रथम ३४ संस्कृत से अनूदित हैं और दूसरे ३५ मौलिक हैं । सूची इस प्रकार है : १. ‘सर्वोत्तम’ १३. ‘भक्तिवर्द्धनी' २. ‘बल्लभाष्टक' १४. ‘जलभेद ३. ‘कृष्ण प्रेमामृत १५. पदेअनि ( Padtani ) ४. बिलेश-रत्न १६. ‘संन्यासलक्षण' वित्र १७‘निरोध-लक्षण ५. ‘यमनाटक १८. ‘सेवाफल ६. बाल बोध२२ १७. शिक्षापत्र . सिद्धान्तमुक्तावली' २०. ‘पुष्टि प्रवाह मर्यादा' ८, ‘नव रत्न' ३ २१. ‘गोकुलाष्टक’ ई. ‘आन्तःकरणप्रबोध' २२, मधुराष्टक' १०. ‘विवेकवैराश्रय' २३. 'नीन-अष्टक’ ( Nin ११. ‘कृष्णाश्रय ' aschtaka ) १२. ‘चतुरश्लोक’’ २४. ‘जन्म चैताष्टक’ (Vaifat) १ हिस्ट्री ऑव दि सेक्ट ऑघ महाराजा’ २ अथवा बाल बोध' - बालक को बुद्धि1 लाहौर से १८६३ में इस शौर्ष की एक रचना प्रकाशित हुई है, परन्तु, मेरा विश्वास है, जिसका प्रस्तुत से कोई सान्य नहीं है, और जिसमें उपदेश और शिक्षा है । 3 अथवा ‘नौ रतन' । इस शीर्षक को अन्य रचनाएँ हैं। रंगोन और मुहम्मद बख्श पर लेख लिए। ४ इस रचनाजिसका नाम भी ‘चतुर लोक भागवत' है, का एक अंश ‘हिस्ट्री ऑव दि सेक्ट व मझाराजाज’, पूर ३, ८४ में उद्धृत मिलता है, और जिसकी पक टीका का उल्लेख पहली जिल्द, ३० २५०, में हुआ है। ५ हरिराय जो पर लेख में इस रचना के संबंध में प्रश्न उठा है । 6