पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४३४

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[ २७६ ६३. ‘मालापुरुष’ ६४‘सतबालक-चरित्र' ३४. यमुना जी पद ६६. वचनामृत’ ६७ पुष्टिमार्गसिद्धान्त’ ६८. दश-म ६७. ‘वैष्णवबत्रिश-लक्षण ७०. ‘चौरासीशिक्षा' ७१, ‘सड़सठप्रढ( Pradha ) ४२. द्वारकेश-नितऋत ७३. अचार जीप्राग' ७४‘उत्सव-पद' - वहशत मीर बहादुर अली वहशत २ अवध के नवाब, शुजाउद्दौला, के दरबार में पत्राधिकारी थे। उन्होंने ठेठ या शुद्ध हिन्दुस्तानी में बारह सासा’, या बारह महीने, शीर्षक एक रचना का निर्माण किया है । वे लखनऊ के थे, तेर, कमाल के अनुसार, मियाँ हसरत के शिष्य थे, ऑरमुहसिन, जिन्होंने अपने तकिंस में उनकी कविताओं के उदाहरण दिए हैं, के अनुसार, जुरत के । बामन' ( पंडित ) कोल्हापुर के निवासी एक ऋग्वेदीय ब्राह्मण थे, और जो रामदास और तुकाराम के साथ स्नेहबंधन में बंधे हुए थे । उनको मृत्यु पण्डबदी ( Pandvadi )में १५६५ शक संचन ( १५१७ ) में हुई । उन्होंने अनेक रचनाएँ संस्कृत में तथा उतनी ही बड़ी संख्या में हिन्दी में भी कीं ! जनार्दन ने अपने कधि चरित्र ’ में निम्नलिखित का उल्लेख किया है : १. ‘यथार्थ दीपिका'--सत्य का दीपक—पर एक विस्तृत टीका ; १ यह रचना गोकुलनाथ ज' को संबोधित है । २ षण ३ अथवा ‘वामन ' बौना । बामन’ श्राह्मण के लिए भी कहा जाता है। ।