पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४३८

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C & बाहबी ( मुंशी और बाबू शोध या सिबप्रसाद सिंह ) [ २३ १२. दिल बहलाव’, १८५८, १८६४ ( उर्दू में )... १३. ‘सन बहलाव’ - सन का बहलाना, गद्य और पद्य में लाभदायक शिक्षा और उपदेश के इलाहाबाद१८६०, ४८ अपेजी पृष्ठ । यह रचना संभवत: ऊपर वाली का हिन्दी में अनुवाद या शायद मूल है । १४‘दस्तूरुल आमल पैमाइश,' १८५५ (उर्दू में ). ... १५. मिसरात उल्गफलीन, १८५६ ( उर्दू में )...... १६. ‘वामासनरंजनर--स्त्रियों के लिए कहानियाँ (Tates for women ) : बनारस, १८५६, ६८ बड़े अठपेजी पृgट ; १७. बच्चों का इनाम, बच्चों की शिक्षा के लिए हिन्दी में छोटी-सी पुस्तक के बनारस, १६० ; १८. बिनय ( या विनय ) पत्रिका सटीक', हिन्दी में टीका सहित भक्ति-संबंधी कविताएँ बनारस, १८६८, ४१२ अठपेजो पृष्ठ ; १३. ‘मानव धर्म सार’ या प्रकाश'-स के नियमों का सार या व्याख्या (The Ordinances of Mana ), जिसमें कर्तव्यों की भारतीय व्यवस्था है, मंजु की रचना का, संस्कृत और हिन्दी में संक्षिप्त रूप में बनारस १८५७, ४६ बड़े अठपेजी पृष्ठ के २० . बमाला' - वर्णमाला के अक्षरों की माला—चित्रों तथा लाभदायक बातों और कहानियों सहित प्राथमिक पुस्तक ( बाराखड़ी ) : बनारस, १८५७, २४ अठखेजी पृष्ठ । उसके अन्य संस्करण आगराशिमला, आदि के हैं। २१. ‘इतिहास तिमिर नाशक’--अज्ञान नष्ट करने वाला इतिहास-भूअर्थात्हिन्दी में, भारत का इतिहास१२० और १ हुक्म चंद और वजीर पर लेखों में इसी शीर्ष की रचनाओं का उल्लेख देखिए। २ १८६४ और १८६५ से शुरू होने वाले मेरे व्याख्यान देखिए।