पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२८८ हिंदुई साहित्य का इतिहास सहायता से,’ निरसा-इ माधोन शीर्षक कहानी का उर्दू बोली में रूपान्तर किया । डॉक्टर गिलक्राइस्ट कृत ‘हिन्दी मैनुअल ऑॉर कास्केट आंव इंडिया’ ३ में केबल प्रथम दस पृष्ठ देवनागरी । अक्षरों में, कलकत्त से , १८०५ में छपे हैं ; किन्तु मेरे निजी संग्रह में उसकी एक पूरी प्रति है जो फ़ारसी अक्षरों में है। यह रचना पहलेपहल मोतीराम कविर द्वारा ब्रजभाखा में लिखी गई थी । ५. वे बैताल पचीसी’ के हिन्दीआनुवाद के रचयिता हैं, जो कलकते से, देवनागरी अक्षरों में छपी है,* और जिसकी मेरे निजी संग्रह में एक हस्तलिखित प्रवि फ़ारसी अक्षरों में है। बैताल पचीसी' की भूमिका के आधार पर, विला ही थे जिन्होंने १ इस रचना के संस्करण की भूमिका में कहा गया है कि यह विन। और -जी लाल कवि द्वारा प्रजमाखा से नूदित है, किन्तु माथोनल की भूमिका में इस अंतिम लेखक का उल्लेख नहीं है। २ यह संग्रह कलकत्ते से चपेजो पृष्ठों में, इस शीर्षक के अन्तर्गत छपा है : 'Hindee Manual or Casket of India, compiled for the use of the Hindustance students of the college of Fort William unter the superintendence of doctor Gilchrist ( ‘हिन्दी मैनुअल र कारकेट ऑथ इंडिया', डॉक्टर गिलास्ट के निरीक्षण में कोर्टविलियम कालेज के हिन्दुस्तानी के विद्यार्थियों के लाभार्थ संग्रहोत ); किन्तु इस रचना की छपाई अधूरा रह गई । उसमें सम्मिलित हैं : १ बारा ओ बहार', २ 'नस्न-बेनजीर ’ बाद उद्";४ तोता कानों'; ५ सिंहासन बत्तीसी' के ६ ‘भस्कीन का मर्सिया' ;७ ‘शकुन्तला' ८ अखलाक़ . ई हिन्दी’ ' द ‘बैताल पचीसी’ के १ ० 'माथोनल’ । उसमें इन रचनाओं के’ केवल अंश प्रकाशित हैं । ३ उन पर लेख देखिए के प्रथम संस्करण के केवल गोस पृष्ठ छपे है जो मैं हिन्दी मैनुअल' का भाग होने वाले थे । ।