पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४४४

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विष्णुदास कधि r २८8 यह आनुवाद किया। जहाँ तक लल्लू जी, जो मुख पृष्ठ पर उलिखित हैं' से संबंध है, उन्होंने स्पष्टतः उसका संशोधन किया और उसकी छपाई की देखरेख की x ( अन्य रचनाएं ) . ” विष्णुदास` काव अर्थात् कवि विष्णुदासकभीकभी केवल विध्णु कवि के नाम से संबोधित, एक स्वर्ग रोहणी. - स्वर्ग की सीढ़ी - शीर्षक कविता के रचयिता हैं, जिसके संबंध में चारों दोशोआ ( d Ochoa ) ने भारत से सूचना दी है कि आाज कल उसकी एक प्रति राजकीय पुस्तकालय में है । इस कवि की रचना से उसके ‘कलियुगके वर्णन को अनुबाद मैने ‘जून एसियातीक' (Journal Asiatique ), १८५२, में दिया है, जिसका पाठ श्री लांसरो ( Lancereau ) की देखरेख में प्रकाशितमेरे हिन्दुई के संग्रह ( Chrestomathie ) में है यह कवि निस्संदेह बही है जिसकी कई कविताओं का अनुवाद मैंने डब्ल्यूयू प्राइस द्वारा प्रकाशित पाठ के आधार पर तैयार किए गए हिन्दुई के लोकप्रिय गीतों के अपने संग्रह में दिया है । वे ब्राह्मण जाति के थे, जैसा कि उन्हें दी जाने वाली द्विज ’ उपाधि से पता चलता है। । १ Translated into Hindoostanee by Mazhar Ali Khan-j Vila and Shree Lulloo Lal Kub moonshees in the Col lege of fort William. ( फोर्ट विलियम कॉलेज के मुंशियों मज़हर अली Wाँ विला और श्री लल्लू लाल कवि द्वारा हिन्दुस्तानी में अनूदित) ३ भr० ‘विष्णु का दास . फ०-१६