पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४४८

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शिव दास ( राजा ) [ २६२ १८४६ में, इन बाबू साहब ने उसी नाम का एक छापाखाना गरे में स्थापित कियाऔर १८५१ में वहाँ से देशी स्कूलों के लाभार्थी स्कूलों के तकालीन बड़े निरीक्षक, श्री० एच० एस० रीड ( Reid) द्वारा निर्मित अनेक पुस्तकें प्रकाशित कीं । अन्य के अतिरिक्त वे हैं : १. ‘पत्र सालिका-पत्रों की माला-हिन्दी में, १ संभवत बारहखड़ी, अथवा जिसे अगरजों में ‘प्राइमर' कहते हैं ; २. महाजनी-सार दीपिका व्यापार के सार की दीपिका हिन्दी में, श्री लाल कृत महाजनी -सार’ का एक प्रकार का संक्षिप्त रूप, आगरा, १८५६ ; ३. चित्र चन्द्रिका'-चित्रों की चाँदनी । क्या यह वही रचना तो नहीं है, जो हिन्दी काव्य-शास्त्र पर राजा ( बलवान सिंह ) की इसी शीर्षक की रचना है ? ४. उर्दू भाव’-उर्दू दण वे ५. नशजात-इ अजला’--जिलों के नकरों ; ६. ‘नक्शजात-इ सकतव’ स्कूलों के नकशे ; ७, Map of Asiaर ( एशिया का नकश ) ; ८. ‘लीलावती, हिन्दी में ( लीलावती, हिन्दी संस्करण )।' शिव दास’ ( राजा ) आगरा प्रान्तान्तर्गत जैपुर के एक हिन्दू लेखक हैं जिनकी देन हैं : १. बोर्ड द्वारा अपने हिन्दुओं के साहित्य के इतिहास ( Hictory of the Literature of the Hindus ), जि० २, १ देखिए श्री लाल पर लेख 23 ७ । ४ ‘शिव का दा’