पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४४९

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२६४ ! हिंदुई साहित्य का इतिहास पृष्ठ ४८१, में उल्लिखित रचना , शिव चंपाई, जिसका तात्पर्य है शिव की चौपाइयां। २. वॉर्ड द्वारा ही अपने 'हिन्दुओं के साहित्य के इतिहास, जि०२, पृष्ठ ४८१ में उल्लिखित रल माला’ -- रनों की साला 1 नहीं जानता यदि यह बही रचना है जिसका प्रयोग बिल्सन ने अपने कोष ( डिक्शनरी ) के लिए किया : यह दूसरी ( कोष ) संस्कृत और हिन्दुई में, बानस्पति और खनिज दोनों प्रकार की, औषधियों के नामों की एक सूची है । ३. उसी प्रकार वॉर्ड द्वारा उल्लिखित ‘शिव सागर' -शिंघ का समुद्र भी इसी लेखक की देन है । ४. अत में वे ‘पोथी लोक उकतरस जगत शीर्षक रचना के भी रचयिता हैं । क्योंकि इस शीर्ष का अर्थ बहुत स्पष्ट नहीं है, मुझे उसका अनुवाद करने का साहस नही होता, इसलिए मैं ग्रंथ के विषय के बारे में अनभिज्ञ हूं। फरजाद खुली ( Farida Culti ) की पुस्तक-सूची में उसका एक नए और अप्रचलित ढंग से लिखी गई के रूप में उल्लेख है, और उसमें लेखक का नाम ‘सूबा अकबराबाद के राय शिव-दास' दिया गया है । शिव नारायण ( पंडित ) दिल्ली और आगरा के देशी कॉलेजों के प्रसिद्ध छात्र, और मेरठ में अंगरेजी के प्रधान अध्यापक, रचयिता हैं : ( उर्दू रचनाएँ ) ८. वे आगरे के उर्दू पत्र‘मुफीद लाइक' -जो लोगों के लिए लाभदायक है। -और 'सर्वोउपकारी शीर्षक उसके हिन्दी रूपान्तर के संपादक हैं । 3 अथवा ‘लोकोक्ति रस युति ' जिसका अर्थ ‘सांसारिक बातों के संबंध में रस का मूल्य' प्रतीत होता है ।