पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४५५

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३०० ] हिंदुई साहित्य का इतिहास प्रसाद के न्यायशास्त्र-संबंधो धर्म प्रकाश'याय का प्रकाश- शीर्षक उर्दू पत्र का रूपान्तर है । श्रीध१ हिन्दी के एक रचयिता का नाम है जिनके संबंध में मुझे कोई सूचना प्राप्त नहीं हो सकी। श्री धार’ ( स्वामी ) ब्राह्मण जाति के एक हिन्दी लेखक हैं जिनका जन्म पंढरपुर में १६०० शक-संवत् ( १६७८ ) में और मृत्यु १६५० ( १७२८) में हुई । उनके पिता का नाम ब्रह्मानंद और उनकी माता का नाम साबित्री था । उन्होंने फ़कीरों का एक संप्रदाय स्थापित किया और निम्नलिखिंत प्रन्थों की रचना की, जो कही जाती प्राकृत में हैं, किन्तु हैं हिन्दी में, जिनकी एक मोटी जिल्द बन जाती है : १. ‘पाण्डव प्रताप पाण्डवों की शक्ति ) २. ‘रि विजय हरि की जीत के ३. 'राम विजय—रम की जीत के ४. शिव लीलामृत-शिव की क्रीड़ाएँ;” ५, ‘काशी खण्ड’ -बनारस का हिस्सा ; ६. ब्रह्माचर्य खंड: --जीवन ; ७. ‘जमिनी अश्वमेध—जैमिनो द्वारा किया गया अश्वमेध : ८ . ‘पाण्डुरंग महातंरा’-पाण्डयों को ऊँचा पर्वत ; . भगवद्गीता पर एक टीका । १ भा० वसुओं नामक अ देवताओं में से एक का नाम' २ भा० ‘श्री’ आदरसूचक उपाधि, ‘धार’धारा, नदी 3 इसी शीर्षक की एक रचना को और पहलो जिल्द के पृष्ठ ३५२ और ४३१ पर संकेत दिया जा चुका है।