पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४५६

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श्री प्रसाद ( मुंशी तथा पंडित ) [ ३०१. श्री प्रसाद' ( मुंशी तथा पंडित ) ( उर्दू रचनाएँ ) रचयिता हैं : ४. जगत् भूगोल’ - दुनिया का भूगोल -के, हिन्दी और उर्दू में, दो भागों में भूगोल, ४८ और ६४ पृष्ठ: मेरठ, १८६५, अठखेजी, और इलाहाबाद१८६८, ४२ अठपेजी पृष्ठ । ( प्रथम भाग ) श्री राम सिंह ( पंडित ) भारतीय रिवाजों परस्वर्गीय सर हेनरी इलियट, को समर्पित, पंक्तियों के बीचबीच में नागी अक्षरों में रूपांतर सहित, फ़ारसी अक्षरों में लिखित राज समाज' - देश का समाज-हिंदी पुस्तक के रचयिता हैं; १७१७ पंक्तियों के १७८ पृष्ठ, १८५१ में प्रतिलिपि की गई ।’ श्री लाल* ( पंडित ) आगरे के , रचयिता हैं: १. ‘हाजनी सार’ -व्यापार का सार - के, महाजनी पुस्तक' - हिन्दू महाजनों की पुस्तक - का हिंदी में संक्षेप ।५ इस रचना के कई संस्करण हैं, जिनमें ‘सराफ़ो, अर्थात् ठीक-ठीक महाजनों या १ भा० श्री या लक्ष्मी का कृपा पात्र या दिया हुआ' २ भा० वीर ( शेर ) दिव्य राम 3 जर्नल एशियाटिक सोसायटो आंव बंगाल’, जि० २३, ४५० २५६ ४ भा० लक्ष्मो का प्रिय’ ५ यह मेरे विचार से वही है जिसका उल्लेख ‘सप्लीमेंट टु दि कैग ऑव दि लाइब्रेरी ऑव दि हॉनरेडल ईस्ट इंडिया कंपन’ में ‘Mahajans’ ook or Merchants' accountsशीर्षक के अंतर्गत उल्लेख हुआ है, आयताकार; आगरा१८४६ । ) ।