पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

श्री लाल (पंडित ) [ ३०३ कि अनुब द्वारा उसमें ज्ञान उत्पन्न होता है यह कथा छत्यधिक लोकप्रिय हो गई है, और देशी स्कूलों में पढ़ाई जाती हैं । उसका फ़ारसी में ‘क्सिा- सादिक खाँ' शीर्षक के अंतर्गत अनुवाद हुआ है, और यह अनुबाद भी आग से छपा है । ४. ‘खगोल सार’ के, हिन्दी में उर्दू ‘खुलासा निजामइ शम्सी’ से अनूदित सौर जगतविवरण संबंधी छोटी पुस्तक है, और दोनों आगरा और बनारस से कई बार मुद्रित हुई हैं, आठपेजी । देशी स्कूलों के लाभार्थी इस रचना का एक संक्षित रूप ‘खुलासा खगोल सार’ शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित हुआ है । ५. ज्ञान चालीसी'- चालीस नीति-संबंधी कथन -दोहों में, बालकों को शिक्षा के लिए । उसके कई संस्करण हैं : चांथा इला हाबाद का है । एक संस्करण हिन्दी में टोका सहित है, और जिसका शीर्ष ‘ज्ञान चालीसी चिचरण' है : आगरा१८६०, २४ अठखेजी पृष्ठ । ६. ‘अक्षर दीपिका ’ — अक्षरों की ज्वाल, ( प्राइमर नं० १), हिन्दी की प्राथमिक रचना, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, और जिसका देशी स्कूलों में प्रयोग किया जाता है । उत्तरपश्चिम प्रान्त के स्कू ों के सब से बड़े निरीक्षक . एच० एस० रीड (Reid) ने उसका सम्पादन और श्री लाल की सहायता से उसका हिन्दी में अनुबं।द किया है । ‘अक्षर अभ्यास की अपेक्षा यह एक प्रकार की अधिक विधिवत् और विकसित प्राथमिक पुतक है । बह आगरालाहौर, दिल्ली और इलाहाबाद से कई बार छप चुकी है सातवाँ संस्करण इलाहाबाद से हुआ है, १८५६, और एक हजार प्रतियाँ छपी हैं , २८ अत्यन्त छोटे चौपेजी पृष्ठ । ७, ‘उर्दू आदर्श’ -उ ह का दर्पण—हिन्दी में, जिसके भी कई संरक एण हो चुके हैं । इसी पुस्तक में, जो एक प्रकार की प्राइ- सर या प्राथमिक व्याकरण है, बहुत रोचकें बातें हैं । उर्दू भाषा ।