पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४६०

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श्री लाल ( पंडित ) [ ३० यह बताया गया है कि पटवारिों ( भूमि के निरीक्षण के लिए रखे गए ) की ओर से अनीति होने पर किस प्रकार सरकार से फरियाद की जा सकती है । इस रचना के, सब के सब कईकई हजार प्रतियों के, कई संस्करण हो चुके हैं। ११. ‘रेखा गणित 'रेखाओं की गणना 14 आगरे से हिन्दी में प्रकाशितइस रचना के तीन भाग हैं । लगभग सौ , पृष्ठों के पहले भाग में यूकलिड की पहली और दूसरी पुस्तक हैं , १४४ पृष्ठों के, दूसरे भाग यूलिड की तीसरी और , में चौथी पुस्तक हैं आग, १८५६, छोटा चौपेजी । तीसरे भाग में छठी पस्तक है । इस पस्तक में प्रत्येक परिभाषा पाठ रूप में रख कर, उसके साथ व्याख्याएँ दी गई हैं । यह रचना, जिसके कई संस्करण हुए हैं, एच० एस० रीड (Reid), ० श्री लाल और मुंशी मोहन लाल द्वारा हिन्दी बोली (dialecte) में लिखी गई है । मुंशी मोहन लाल की सहायता से, पंडित बंसीधर ने उसका उर्दू में अनुवाद किया है । १२ ‘भारतवर्ष का वृत्तान्त’ -( प्राचीन ) भारत का इतिहास । ऐसा है, यह रचना संस्कृत के आधार पर भी जा प्रतीत होता म्योर द्वारा निर्मित हुई और प० श्री लाल द्वारा पहले गद्य में, फिर पद्य में, अनूदित हुई। ‘भारतवर्ष का इतिहास’ शीर्षक के अंतर्गत एक गद्य रूपांतरण आगरे से भी प्रकाशित हुआ है, और कहा जाता है कि यह रचना बंसीधर कृत उर्दू ‘तवारी’ या तारीखछ हिन्दी’ १ पूरा शीर्षक है-‘रेखागणित सिद्धि, फलोदय, और अँगरेजी में ‘Geome- trical Exercises' .. २ इन लेखकों से संबंधित लेख देखिए ३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।


३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।