पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४६४

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[ ३० उसके बाद के पृष्ठों, में उसका सुन्दर ढंग से विश्लेषण किया है, और मैं उस ओर पाठक का ध्यान आकृष्ट किए बिना नहीं रह सकता। श्वेताम्बर संभवतएक जैन कवि हैं, जिनका उपनाम 'बरकवि'—चुना हुआ कविश्रेष्ठ कवि है । जैनों के प्रधान संतों में से एक पर, हिन्दुई काव्य, ‘ऋषभ चरित्र’—ऋषभ की कथा—उनकी देन , जिसकी यूरोप में एक हस्तलिखित प्रति होने की सूचना कर्नल टॉड ने दी है। सदल मिश्र ( पंडित ) नासिकोपाख्यान '- नासिका की कथा—या 'चन्द्रावती’ ( चन्द्रमा के समान ) शीर्षक संस्कृत की कथा के ब्रजभाषा राज्य में एक आनुवाद के रचयिता हैं। आनुवाद का यह शीर्षक उन्होंने १८६० संवत् ( १८०४ ) में, गिलक्राइस्ट के संरक्षण में, रखा, और जिसमें १३-१३ पंक्तियों के ११८ पृष्ठ हैं। । फ़ोर्ट विलियम के पस्तकालय में इस ग्रन्थ की जो हस्तलिखित प्रति है बह वही है जो कलकत्ते की एशियाटिक सोसायटी के पुस्तकालय में है, जिसमेंजैसा कि झात है, पहली जोड़ दी गई है ।" सदा सुख लाल ( मुंशी ) आगरे के... उर्दू रचनाएँ ) ८. वे हिन्दी और उर्दू , दो बोलियों तथा दो विभिन्न रूपों और १ ( श्वेत ) वस्त्र धारण करने वाला’ । जैन अपने, को दो हिस्सों में बाँटते हैं - दिगंबरबिल्कुल नग्न रहन) और (श्वेतांबर’ श्वेत वल धारण करने वाले')। २ यह शब्दजो वास्तव में मिश्र’ लिखा जाना चाहिए , कुछ ब्राह्यों और साथ हो हिन्दू चिकित्सकों की एक उपाधि है । 3 भा० ‘सदैव का सुख’ ३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।


३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।