पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४६५

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३१० | हिंदुई साहित्य का इतिहास शीर्षकों के अंतर्गत प्रकाशित होने वाले एक साप्ताहिक पत्र के संपा दक और लेखक हैं ।'बुद्धि प्रकाश'-प्रकाश और ' द्धि का नूर उल अबसार. देखने का प्रकाश-शीर्षक इस दो पत्रों को छंग रेजी गवर्नमेंट से प्रोत्साहन प्राप्त होता है । । भारतीय स्कूलों के इन्सपेक्टर जनरलश्री एचरीड ( Reidइच्छा एतe ) की ! नुसार इन पत्रों में, ताजे समाचारों के अतिरिक्त, इतिहासभूगोल शिक्षा आदि पर अँगरेजी से अनूदित छोटेछोटे लेख भी प्रकाशित होते हैं। अन्य के अतिरिक्त उसमें 'Abercrombie's - Intellectual powers' से उद्धरण निकले हैं। मैं नहीं जानता यदि ये वे ही पत्र हैं जो इस समय इलाहाबाद से ‘आइना-ई इल्म विज्ञान का दर्पण - उर्दू में संपादित मासिक पत्र, और ‘वृत्तांत दर्पण’ -बरौनों का दर्पण – हिन्दी में, तथा मासिक ही, शीर्षकों के अंतर्गत प्रकाशित होते हैं, जिनका उल्लेख उत्तरपश्चिम प्रदेश के प्रकाशनों पर श्री केम्पसन ( Kemson ) की २० फरवरी की पिछली रिपोर्ट, संख्या ४६ तथा ४७में हुआ। है । १०. उन्होंने Ganges Canal' का में ‘गंगा अँगरेजी ‘उर्दू की नहर का मुख्तसर बयान’ शीर्षक के अंतर्गत उर्दू में अनुवाद किया२४ चौपेजी पृष्ठ हैं और उसी का, हिन्दी में गंगा की नहर का संक्षेप वर्णन' के समान शीर्षक के अंतर्गत । उसका हिन्दी, उर्दू और अँगरेजी में एक चौपेजी संस्करण भी है, जो रुड़की' से अँगरेजी के 'Brief account of the Ganges Canal' शीर्षक के अंतर्गत प्रकाशित हुई है । १ इस विषय पर रिव्यू द लौरिपैंत (Oriental Review ), जून १८५५ की संख्या, पृष्ठ ४५८मैं दिया गया नोट देखिए। ३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।


३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।