पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४६६

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सफदर अली ( मौलवी और सैयद ) [ ३११ सफदर अली ( मौलवी और ) संयद जबलपुर के मुसलमान विद्वान् जिन्होंने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया, और जो आज कल जबलपुर जिले के स्कूलों के इन्सपे क्टर हैं, रचयिता हैं : १. अक्षरावली’ के, अथवा हिन्दी के अक्षर लिखने की छोटी सी पुस्तक ' जबलपुर, १८६८३८अठपेजी पृष्ठ । ( उर्दू रचनाएँ) समन' लाल ‘ज्ञान बात। , कायस्थ जाति का विवरण, स्वर्गीय सर एच० इलियट को समर्पितऔर जिसमें ११-११ पंक्तियों के १३२ ष्ठ हैं, के रचयिता हैं ।' समर सिंह ( राजा ) ‘पदन्ती’ शीर्षक, ‘महिम्न स्तोत्र५ के हिन्दी अनुवाद के रच- यिता हैं । संस्कृत मूलजो प्रकाशित हो चुका है, का शीर्षक ‘महिम्न रतच६ है । उसमें शिव की स्तुति दी गई हैं, और बह रौब १ भा० बराबर, समान’ और बराब’ आदि २ ‘जर्नल ऑव दि एशियाटिक सोसायटी व बेंगाल, जि० २३, ४० २५६ 3 भा० ‘युद्ध का शेर ४ अर्थात् फूलों के दाँत,' शीर्षक जिसे पहले संस्करण, पृ० ४०५, में भूल से एक हिन्दी लेखक का नाम बताया गया है। ५ ( शिव संबंधित) गौरख का गान' र्ष हिन्दी अनुवाद के साथ ‘सटीक महिम्न स्त’ शीर्षक के अंतर्गत एक संस्कृत संरकरण भी है। कलकत्ता, १३ अठखेजी पृष्ठ । जे० लौंग, ‘डेस्क्रिप्टिव लौग’ ( Descrip. Ctai.), पृ १७, १८६७ 1 ३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।


३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।