पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४७०

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सुंदरदास f ३१.. रूपान्तर है जिसका बॉर्ड ने अपने हिन्दुओं के साहित्य के इतिहास में सिंगासन त्रिशी' शीर्षक के अंतर्गत उल्लेख किया है । इस रचना के उर्दू रूपान्तर सुन्दर की रचना के आधार पर किए गए हैं। सुन्दर दास एक दर्शन संबंधी पुस्तक ‘शान समुद्र, अर्थात् शन का समुद्र के रचयिता भी हैं , बनारस, १८६६, ४ बड़े अठपेजी पृष्ठ के उसका तथा सुंदर विलास’ -सुन्दर आनन्द —या--सुन्दर' का विकास का एक पहले का संस्करण है । सुंदरदास दाऊद के शिष्य और करीम, जिन्होंने उनकी कविताओं के उदा हरण दिए हैं, द्वारा उल्लिखित, एक दूसरे हिन्दुस्तानी लेखक का नाम प्रतीत होता है । एक और गर्भाए अथवा रबाबी सुन्दरदास का उल्लेख मिलता हैजिनकी धार्मिक कविताएँ ‘आदि ग्रंथमें सम्मिलित हैं। सुंदर या सुन्दरलाल। हिन्दी या कहना चाहिए हिन्दुई में, मथुरा के बाल गोविन्द के निरीक्षण में, वागरे से फ़ारसी अक्षरों में मुद्रित१७१७ पंक्तियों के ११२ आठवेजी पृष्ठ, आठआठ पंक्तियों के छंदों में काव्य, ‘बरत महातम --( हिन्दुओं के ) त्रों की महिमा के रच यिता हैं। सुखदयाल’ ( मुंशी ) जुडीशलकमीशन के न्यायालय के उपाध्यक्ष, देवनागरी - १ जि० २, ४० ४८० २ शान समुद्र 1 ‘एशियाटिक रिसर्दी’, जि० १७, ७० ३०५; मैकेन्जी, जि० २९. ० १०३ 3 भा० सुन्दर लगने वाला प्रिय’ & भा० सुख देने वाला दयाड ३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।


३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।