पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४७१

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३१६ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के अक्षरों में लाहौर से १८५६ में मुद्रित५० आयताकार आठपेजी पृष्ठों की, ‘यापारियों की पुस्तक -महंजनों और व्यापारियों की पुस्तक के रचयिता हैं, जिसका स्वयं लेखक ने ‘व्यापारियों दी पुस्तक के समान शीर्षक के अंतर्गत पंजाब की स्वास बोली ( पंजाबी बोली' ) और फारसी अक्षरों में अनुवाद प्रस्तुत किया है, १८९४ में लाहौर से ही लीथो में छपीआयताकार आठ-. पेजी। सुखदेव। हिन्दू लेखक जिनका आविर्भाव १६ वीं शताब्दी में इलाहा बाद प्रान्त के पुराने नगर छोरछा ( Orscha ) के ए राजा के आश्रय में हुआमर्दन नामक इस रजा के आश्रय में ही इस कवि ने साहित्य-सेवा की। 'रसाऐं या ‘रसार्णव३' शीर्षक पद्यात्मक रचना उनकी देन है, जो, जैसा कि उसके शीर्षक से प्रकट है, काव्यात्मक और नाटकीय रसों की व्याख्या करती है। प्रोफ़ेसर विल्सन के पास आपने सुन्दर संग्रह में नागरी अक्षरों में उसकी एक प्रतेि है । इस प्रसिद्ध रचयिता के संबंध में मैंने जो बातें यहाँ दी हैं उनके लिए मैं उस विद्वान भारतीयविद्याविशारद का अनुग्रहीत हैं। क्या यह रचयिता शुकदेव ही है ?' ” श्री विल्सन वाली हस्तलिखित प्रति में यह नाम शुषदेव' लिखा हुआ है ; किन्तु मेरा विचार है कि शुष‘' के लिए है जिसका अर्थ है, आराम, 'शांति' आसन्नता'। जहाँ तक देव’ से संबंध है, यह एक आदरचक उपाधि है। वह हिन्दुओं के नामों को तरह, मुसलमानों के नामों के साथ लगने वाले 'साहब' के बराबर है । रसर्न ३ द्वितीय संस्करण में यह शुकदेवके अन्तर्गत है ।—अतु० २ ३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।


३०४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास के जन्म और विकास तथा हिन्दो और फारसी से उसके संबंध पर हिन्दी में लिखित वह एक रूपरेखा है । ८. ‘गणित प्रकाश ’ -गणित की रोशनी हिन्दी में, जिसके कई संस्करण हो चुके हैं, कुछ लीथो के, कुछ मुद्रित वह चार भागों में गणितसंबंधी पुस्तक है, जिसके तीसरे और चौथे भाग इस संपादन के सइयोगियों बंसीधर और मोहन लाल द्वारा 'मबादी उलु हिसाबके आबाद हैं। है. 'छेत्र' या क्षेत्र चन्द्रिका'- खेत से संबंधित चमकती किरणें एच० एस० रीड द्वारा संपादित और श्री लाल द्वारा हिन्दी में अनूदितभूमि नापने आदिआदि की विधि-सम्बंधी दो भागो में हिन्दी पुस्तक । उसके आगरे आादि, से कई संस्करण हो चुके हैं : छठा बनारस का है, १८४५, आठपेजी । पंडित बंसीधर ने अपनी तरफ से उसका मिस्बाह उल मसाहत’– क्षेत्र विज्ञान का दीपक --शीर्षक के अन्तर्गत उर्दू में अनुवाद किया है । १०. सूरजपुर की कहानी'- सूरजपुर की कथा इसी आर्थ के शीर्षक, निरसा-इ शम्साबाद: का अनुबाद । एच० एस० रीड द्वारा सर्वप्रथम लिखित और प० श्री लाल की सहायता द्वारा हिन्दी में अनूदितयह प्रामीण जीवन का एक चित्र है। उसका उद्देश्य एक नैतिक कथा के माध्यम द्वारा जमींदारों और किसानों के अधिकारों और भूमि-सम्पत्ति संबंधी बातें बताना है, तथा १ ‘ए भिज़ न सर्वेपार्ट टैं, मेनसुरेशन के सेकण्डप्लेन टेनिक पाट सयिंग' मैं उसका एक संस्फर ण पंजाबी में, किन्तु उडांअर्थात् फ़ारसी अक्षरों में हाफ़िकें लाहौरी का दिया हुआ हैं मैं दिल्ली, १६८, १६ अठपेजों एवं ।