पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४८२

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हरि चन्दर या हरिश्चन्द्र ( ब ) f ३२७ रचित ‘अष्ट जाम’ या ‘अष्ट यामने—आठों पहर दिन के विभाग) । पूरी कविता है 3 और दो अन्य कविताओं का एकएक भाग है, पहली संपादक के पिता, गोपाल चन्द्र कृत भारती भूपण’-—वाणी का भूषण-शीर्षक, और दूसरी ‘उक्ति युक्ति रसकौमुदी'-कहने के ढंग में रस की चाँदनी ; बलराम कथामृत'- बलराम के अवतार की सुधा ; 'रत्नावली माटिका'--रत्नावली का नाटक ; नहुष नाटक'--नहुष का नाटक गोपीजन वल्लभ कृत, गोपाल चन्द्र द्वारा दुहराया गया ; ‘अमराग बाग-—गिरधर दास कृत, जो गोपाल चन्द्र कृत बाल कथामृतके सिलसिले में प्रतीत होी है; प्रेम रतन -->म का रत्न बाबू रतन कुंवर ; ‘पावस कविता संग्रह' वर्षा ऋतु पर हिन्दी कविताएँ, आदि। बाबू साहब ने बनारस में अपने घर पर हुए एक कवि सम्मे लम की बारह उर्दू गजलों को ग़लतियात' शीर्षक के अंतर्गत १८६८, १३-१३ पंक्तियों के १६ अठग्रेजी पृष्ठ; हिन्दी पचों में अनूदित चुने हुए अंशों द्वारा निर्मित १८६४ के लिए एक सुन्दर ‘Forget me Notर को; ‘कार्तिक कर्म विधि'कार्तिक महीने में किए जाने वाले कामों के करने की रीति-—हिन्दी में) बनारस १८६८, ३१ अठपेजी पृष्ठ, को प्रकाशित किया है। २४ अक्तूबर, १८६७ के ‘अवध अखबार में घोषित रचना, 'तशरीह उस्सजा,'-सज्जा का विश्लेषण—अर्थात् भारत में दी जाने वाले शारीरिक दण्डों की संक्षिप्त , पेनल कोड के अनुसार पुलीसनियमआदिके रचयिता पंडित हरि चंद भी शायद यही हों। ;