पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/४९९

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३४४ ] हिंदुई साहित्य का इतिहास हिन्दुस्तानी लोकोकियों वाला भाग ३६७ पृष्ठों में है यह महवपूर्ण रचना भारतीयविद्याविशारद विल्सन द्वारा प्रकाशित हुई है, और उन्होंने, जिनकी श्र नेक रचनाओं ने उनके देशवासियों को हिन्दुस्तानी का अध्ययन करने के लिए प्रेरणा दी, प्रसिद्ध गिलत क्राइस्ट को समर्पित की है । मेरा यह निश्चित विचार है कि भारत वर्ष की भाषाओं से संबंधित संग्रहों में हिन्दुस्तानी लोकोक्तियों का यह संग्रह सबसे अधिक उपयोगी रचनाओं में से एक है । बभवन संधि, अर्थात् वर्षों ( Castes ) के स्वरूप का सम्मिलन । जैन धर्म के सिद्धान्तों और बाह्माचारों पर भाषा में लिखा गया एक और ग्रंथ ( विल्सन, 'एशियाटिक रिसचेंज, जि० १७, ० २४४)। बर्णमाला’, या हिन्दू लिपि - श्रीरामपुर, १८२०। बमाला, वर्ष (अक्षर), और माला (हार) से । 'बाइबिल के अंश’, दकन की हिन्दुस्तानी में शुल्ज Schultzद्वारा () अनूदित - Halle en Saxe, 1745--1747, अठपेजी। राजकीय छापेढ़ाने के भूतपूर्व अध्यक्ष, श्र मार्सेल (Marcel) का पुस्तकालय / ‘बाइबिल’ ( पवित्र ) ‘हिन्दुत्तानी में अनूदित, नागरी अक्षर-५ जिदअठपेजी, श्रीरामपुर, १८१२, १८१६, १८१८ । हिन्दुस्तानी शीर्षक हैं धर्म की पोथी’ और ईश्वर की सारी बा’ । इन जिल्दों में, प्रोटेस्टेंटों द्वारा संदिग्ध समझने वाले अंशों के अतिरिक, प्राचीन और नवीन नियम की सत्र पुस्तकें हैं । पहली जिल्द में ‘पटाटइक’ ( Pentateugue ) है , दूसरी में, इतिहासपुस्तकें ( les Livres historiques ) हैं; तीस में, गीतों की पुस्तकें ( les Livres poetiques ) - हैं; चौथी में भविष्य क्ता की