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भूमिका

और उत्सव के अवसर पर गाए जाने वाले कुछ अश्लील गीतों का नाम है।

'गीत', गीतों, गानों, प्रेम-गीतों आदि का वर्गीय नाम।

'गुज्जरी', एक रागिनी, और एक गौण संगीत-रूप-संबंधी गाने का नाम।

'चतुरङ्ग', चार भागों की कविता जो चार विभिन्न प्रकार से गाई जाती हैं : 'खियाल', 'तराना'[१], 'सरगम'[२] और 'तिरवत'[३] (tirwat)।

'चरणाकुलछन्द', अर्थात् विभिन्न पंक्तियों में कविता। 'महाभारत' के हिन्दुई रूपान्तर में उसके उदाहरण मिलते हैं।

'चुटकुला', केवल दो तुकों का दिल खुश करने वाला खियाल।

'चौपाई', तुकान्तयुक्त चार अर्द्धालियों या दो पंक्तियों को कविता। किन्तु, तुलसी कृत 'रामायण' में, इस शीर्षक की कविताओं में नौ पंक्तियाँ हैं।

'छन्द', छः पंक्तियों में रचित कविता। तुलसी कृत 'रामायण' में उनकी एक बहुत बड़ी संख्या मिलती है। लाहौर में उसका बहुत प्रयोग होता है।

'छप्पै', या छः वाली, एक साथ लिखे गए 'छः', चरणों 'पै' ('पद' का समानार्थवाची) की कविता, जिनसे तीन पद्य बनते हैं। यह उस चरण से प्रारंभ होता है जिससे कविता का अन्त भी होता है।

'जगत बर्णन', शब्दशः संसार, पृथ्वी का वर्णन। यह हिन्दुई की एक वर्णनात्मक कविता है जिसके शीर्षक से विषय का पता चलता है।


  1. आगे चलकर हिन्दुस्तानी काव्यों की सूची में इस शब्द की व्याख्या देखिए।
  2. इस शब्द का ठीक-ठीक अर्थ है gamme (गम्म्), और जिससे शेष व्युत्पत्ति मालूम हो जाता है।
  3. इस अंतिम तान और गीत पर देखिए विलर्ड, 'ए ट्रिटाइज़ ऑन दि म्यूज़िक ऑव हिन्दुस्तान', पृ० ९२।