पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५०५

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३५० ! हिंदुई साहित्य का इतिहास Summula Doctrinae Christianae in linguam Hin dostanicatn translata a Benjamino Schultटio; edidit J. H. tallernbergius-SHalae1743, अठपेजी । सुसमचार' । देशी विद्वानों द्वारा हिन्दुस्तानी में अनूदित, विलियम हंटर द्वारा मूल प्रीक सहित संपादित औौर संशोधित ( नागरी अक्षर )-कल कता, १८०५ । ‘सयाभयो—तरी । वॉर्ड द्वारा अपने हिन्दुओं का इतिहास, साहित्य, आदि, जि० २, • ४८१ में उल्लिखितजैपुर की बोली में रचना। ‘सेनानी पोथी, ढंगलिश और हिंदी में, पैदल सिपाहियों के लिए संग्रहीत। भाग १ में स्क्वैड और कंपनो की क़वाइद का वर्णन है ; भाग २ में मैनुअल और प्लैट्रन की कवायद के बोल, आदि हैं, जे० एस० हैरिअट ( arriot ) कृत-आठपेजी । इस उपयोगी पुस्तक का इला भा कलकते से १८२६ में, औौर दूसरा भाग श्रीरामपुर से १८२८ में छपा है । वे दो कॉलमों में छपे हैं, एक गैरेज़ी में नाम दूसरा हिन्दी में दूसरा भाग एक लीथोफ़ चिन से सुसज्जित है जिसमें दो सिपाही दिखाए गए हैं । रचयिता जनरल हैरिभ्रष्ट हैं, जिनकी ११ फरवरी१८३४ को पेरिस में मृयु हुई । ‘सेहेक्शन फ़्राँस दि पॉप्यूलर पोएट्री ऑव दि हिन्दूज(हिन्दुओं के लोकप्रिय काव्य का संग्रह ) : टी० डी० ब्राउटम द्वारा संकलित और अनूदिख “, १८१४१५६ बारहवेजी पृष्ठ ।

इस ग्रंथ के रचयिता ने, जिसको मृयु लौंदन में १६ नवंबर,

१८३५ को हुई, इस शोपेक के अंतर्गत हिन्दुई के कुछ लोकप्रिय गीत संग्रहीत किए हैं । दुर्भाग्य से वे लातीनी अक्षरों और ,