पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५०६

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पंरिशिष्ट १. [ ३५१ उन्हीं हिजों में लिखी गई है जो उसके लिए बहुत ठीक नहीं। टते !

  • सेवासखी वानी, या केवल ‘वानी' अथवा 'ानी'।

जैन संप्रदाय को रचना । प्रोफ़ेसर विल्सन के पास उसकी नागराक्षरों में एक प्रति है : इसके अतिरिक्त उसमें चालीस भाग हैं । ‘ली शिक्षा’ (Apology for female education, खड़ीबोली हिन्दी में कलकत्ता, १८२२, अठपेजी। कलकत्ता स्कूल बुक सोसायटी द्वारा प्रकाशित रचना । ‘ली शिष्य विधायक', स्त्री शिक्षा का समर्थन, हिन्दुई में कलकत्ता, १८३४। सभवत: वही पुस्तक है जिसका ‘ऐशौौजी फ़ॉर फीमेल ऐ8 कैश’ शीर्षक के अंतर्गत ऊर उल्लेख हो चुका है । हिन्दवी में कथाएँ( मूल में नीति कथा शीर्षक, अर्थात् नीति की कथाएँ )- कलकत्ता, १८३३बारहपेज के अन्य संस्करण १८३४ में । यह पुस्तक स्कूलबुक सोसायटी द्वारा प्रशशित हुई हैं । . ‘हिन्दवी में चार ससमाचर(GOspels), . लशिंगटन, कलक्ता इंटी’ (Setctta Inst., पश्चिशष्ट (App.) ४१ XEl)। . ‘हिन्दी पक्ष में कथाएँ, आदि। ईस्ट इंडिया हाउस की चौफेजी हस्तलिखित पोथी, लीडेन (Leyden) संग्रह, ०.२५, १८६१ संवत् ( १७८५ ईसवो ) में लिखित । ‘हिन्दी रोमन ऑरथीपीसैफ़ीकल अल्टीमेटमअथवा दि हिन्दुस्तानी स्टोरी ट्रेलर, जे० बी० गिलाइट कृत—लंदन१६, अंग्रेजीं, द्वितीय संस्करण । ', x