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हिंदुई साहित्य का इतिहास


'जत' [यति], होली का, इसी नाम के संगीत-रूप से संबंधित, एक गीत।

'जयकरी छन्द', अथवा विजय का गीत, एक प्रकार की कविता जिसके उदाहरण मेरी 'हिन्दुई भाषा के प्राथमिक सिद्धान्त' (Rudiments de la langue hindoui) के बाद मेरे द्वारा प्रकाशित 'महाभारत' के अंश में मिलेंगे।

'झूल्ना', अथवा झूला झूलना, झूले का गीत, वैसा ही जैसा हिण्डोला है। अन्य के अतिरिक्त वे कबीर की रचनाओं में हैं। एक उदाहरण, पाठ और अनुवाद, गिलक्राइस्ट कृत 'ऑरिएंटल लिंग्विस्ट', पृ॰ १५७, में है।

'टप्पा', इसी नाम के संगीत रूप में गाई गई छोटी शृंगारिक कविता। उसमें अन्तरा अन्त में दुबारा आने वाले प्रथम चरणार्द्ध से भिन्न होता है। गिलक्राइस्ट ने इस कविता को अँगरेज़ी नाम 'glee' ठीक ही दिया है, जिसका अर्थ टेक बाला गाना है। पंजाब के लोकप्रिय गीतों में ये विशेष रूप से मिलते हैं, जिनमें हिन्दुई के 'कौ' और हिन्दुस्तानी के 'का' के स्थान पर 'दौ' या 'दा' संबंध कारक का प्रयोग अपनी विशेषता है।[१]

'ठुम्री', थोड़ी संख्या में चरणार्द्धों वाले हिन्दुई के कुछ लोकप्रिय गीतों का नाम। ज़नानों या रनिवासों में उनका विशेषतः प्रयोग होता है।

'डोमरा', नाचने वालों की जाति, जो इसे गाती है, के आधार पर इस प्रकार के नाम की कविता। उसमें पहले एक चरण होता है, फिर दो अधिक लंबे चरणों का एक पद्य, और अन्त में एक अंतिम पंक्ति जो कविता का प्रथम चरण होती है।

'तुक' का ठीक-ठीक अर्थ है एक चरणार्द्ध (hémistiche)। यह मुसलमानों की काव्य-रचनाओं का पृथक् चरण फ़र्द है।


  1. दे॰, मेरी 'Rudiments de la langue hindoui' (हिन्दुई भाषा के प्राथमिक सिद्धान्त), नोट ३, पृ॰ ६, और नोट २, पृ॰ ११।