पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५१४

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[ ३५४ परिशिष्ट २ । ‘सतनाम ( पोथी )-(के) सौ नाम की युवक फ्ष में । . भगवत् , लखनऊ के, नवल किशोर का जनवरी १८६६ का सूचीपत्र : क्या यह वो ग्रन्थ तो नहीं है जो इसी शीर्षक का कबीर का है? ‘सत्य नारायण की कथा सत्य नारायण का वनतथा इस देवता से पा की थोचना के हिन्दी में 1-मेरठ, १८६५, २४ पृष्ठ; और हिन्दी तथा संस्कृत टीवर्द्ध सहित ‘आगरा१८६८, ४४ अठपेजी पृष्ठ । ) । 'सत्या शिक्षावली’-अच्छी शिक्षाएँ; हिन्दी में -आार्गर१८६५) प्रथम भाग, २४ के दूसरे , ४८ पृष्ठ । जे० , ‘कैटलॉग, पु० ४० ! ‘सत्रजय महात्म' विष्णु के पक्ष में) शत्रु की विजय की महिमा। ‘सहन नाम’ या विष्णु सहस्र नाम’–( विष्णु के.) सहस्र नाम, हिन्दीं में ।- मेरठ, १८६५, और कलकत्ता, १८६५, १२. आठ पेजी पृष्ठ । जे० लौंग, ‘टैडौग, पू° ३३ । ‘लीला'- कृष्ण की ) ,सहस्त्र लीलाएँ : हिन्दी में । सहस्र ‘हनुमान चालीसी’. -हनुसात के बीच हुए कर्म ) { हमल का वर्णन’ के हिन्दी में आगरा१८६४, ४ पृष्ठों को पुस्तिका है। हनुमान फाग'—' हनुमान की होली, हनुमान का हिन्दी में दूसरा वर्णन ।-आगरा१८६४, २० पृष्ठों की पुस्तिका । क,: शब्द ' अर्थ रंगों हुई बुकनों, जिसेहोलभरतवासियों फागका आनंद सब--मैं एक दूसरे पर फेंकते , और गाना भां है जो उस समय ग़ाया जाता है।