पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५१५

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३६6 ! हिंदुई साहित्य का इतिहास ‘हरि भक्त प्रकाश’-—हरि के भक्तों की कथा । सोहना ( Sohani ) से १८६७ में प्रकाशित ‘भक्त माल ’ के एक उर्दू अनुवाद का ऐसा ही शीर्षक है, चौपेजीजिसके बारे में मुझे विद्वान् भारतीय विद्याविशारद फिट् एड्वर्ड हॉल ( Fitz Edward Hall ) ने बताया और जिन के कारण मैं ग्रन्थकारों और ग्रन्थों की तालिका में बीचबीच में अनेक संशोधन कर सका हूँ । हिन्दू यात्रियों को शिक्षा' में-

हिन्दुई , कैथीनागरीशक्षर

इलाहाबाद, १२ पृष्ठ । हेम रतनसोने का रत्न , हिन्दी में धार्मिक रचना ।-मेरठ १८६५ । जे० लौंग, ‘कैटैलीग, ३७ । २, न्याय यात्र विधवा विवाह व्यवस्था, बा० नवीन चन्द राय द्वारा शास्त्र.य पाठों के प्रमाण से विधवा स्त्रियों के विवाह की व्यवस्था, और विरोधी पक्ष के तक का खण्डन, हिन्दी और संस्कृत में लाहौर १८६, ४८ अठपेजी पृष्ठ। ३. ज्ञानविज्ञान और कलाएँ ‘अमृत सागर’अमृत का समुद्रमहाराजा प्रताप सिंह की आज्ञ से, जयपुर की बोली में लिखितऔषधसंबंधी हिन्दी-रचना। -१८६४ में आगरे से मुद्रित३०४ अठपेजी पृष्ठ । ने रेकॉर्ड Tribners Record), ३१ मई, १८६६ एक अन्य संस्कार " "दिल्ली की बोली में, लखनऊ, १८६४, ६२६, अठपेज पृष्ठ ।-बी, १६ अगस्त, १८६६ । क्लेनवे ( Kehgranaw% )। मकानों और मंदिर के निर्माण की विधि और इमारतों की नींव