पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५१८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

परिशिष्ट २ f ३६’’ पारजूतक ( पोथी )-संगीत की सीढ़ी पर पुस्तक हिन्दी में । यह कविता रागरागिनी मालूम करने की विधि और वाद्ययंत्र बजाने के संबंध में है । बलदेव के पुत्र, दीनानाथ ने ‘रिसाला-इ इल्म-इ मूसीकी'-संगीत के ज्ञान पर पुस्तक-शीर्षक के अंतर्गत उसका फारसी में अनुवाद किया है ।' 'पुस्तक प्रहणों की’- ग्रहणों की किताब, हिन्दी और उर्दू । आगरा४४ चौपेजी पृष्ठ। प्रसाद मंगल, प्रसाद की अच्छी विधिविविध प्रकार के मन्दिरों फ्र, पाँच सौ श्लोकों में, हिन्दी कविता। माँगोमरी मार्टिन (Montg. Martin, ‘ईस्टर्न इंडिया', पइलो जिल्द, ५० ३२६ । राग द्पण-राग का दर्पण । फकीरुल्लाह द्वारा फारसी में अनूदितभारतीय संगीत पर हिन्दुई रचना ' मूल रचना का संग्रह ग्वालियर के राजा मान सिंह की आशा से हुआ था । 'राग पोथी' -राग की पुस्तक। यह रचना, जिसकी वर्गीय डी० फ़ोर्स ने अपने पूर्ण हस्त लिखित ग्रंथों के मूल्यवान संग्रह में से प्रति मुझे दी थी, कबीर, नानक, तथा अन्य कबीरपंथी, सिक्खों और कुछ वैष्णव धार्मिक कवियों के लोकप्रिय भजनों और गीतों का, फारसी अक्षरों में, संघ है । १८५० , राग की पोथी’ शीर्षक ही एक पोथी बनारस से प्रकाशित हुई है। १ दे० डब्ल्यू॰ आउल्ले (ऑरिएंटल कलेक्शन्स’ ( पूवी संसह .)। Ouseley), पहली जिल्द७० ७५।