पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५१९

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३६४ 1 हिंदुई साहित्य का इतिहास राज बल्लभ '-राज की कलाभवनों की वास्तुकला पर, चौदह सौ श्लोकों में, हिन्दी कविता। माँगोमरी मार्टिम (Montg. Martin , ईस्टर्न इंडिया, पइली जिल्द, ७ ३२६ । ‘रिसाला मोती की जो निकालने का’ या रिसाला इस्तिरराज-इ जौ-इ सवारी' लीप से मोती अलग करने की विधि हिन्दी में ।- हैदराबाद, १२५१ ( १८३५-१८३६ ), ४८ छोटे चौपेजी पृष्ठ । ‘रूप मण्डल -सौन्दर्य की परिधि । मूर्तियों और शिल्पों के रूप पर हिन्दी रचना ।-मोंटगोमरी मार्टिन ( AMontg, Martin ), ‘ईस्टर्न इंडिया, पहली जिल्द, ५० ३२६ ! ‘रोगान्घित सार'-—रोगियों की भलाई । लो ४ विलियम कॉलेज में द्विन्दी के प्रोफ़ेसरकैप्टेन जॉन टेलर की सहायता से लिखित ‘मैटीरिया मैडिका’ पर हिन्दी रंचना और बनारस के मतत्रा मुफीद-इ हिंन्द' नाम के छापेलाने से १८५१ में प्रकाशित उसका एक संस्करण, उर्दू में २८८ पृष्ठों का, १८६५ में आगगरे से निकला है । – जे० लौंगकैलौग, ० ४१ । ‘रेल की टिकट, हिन्दी पत्र में |-लुधियाना, १८६७१० बारह पेजी पृष्ठ । ‘लोक प्रकाश ’-संसार का स्पष्टीकरणहिन्दी में भूगोल । , आगरा१८६४८० छोटे अठपेजी पृष्ठ। वस्तु शास्त्र'--इसारत बनाने की पुस्तक, दो हजार श्लोकों में, मकानों की वास्तुकला पर कविता। गोमरी मार्टिन ( Montg Martin ), ईस्टर्न इंडिया, पहली जिल्द१० ३२ ६। : . g