परिशिष्ट २
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किसी यूरोसीयन द्वारा लिखे गए , शीर्षक के अनुकरण पर इसी
इस्तलिखित ग्रन्थ में कोकशास्त्र का अनुवाद ' नुश्क इ कामीर
(कामिल’ ) और । नुगख। ई अमलियत ओ ‘नुसुश--दस्तकारी ’ और
शिल्प सम्बन्धी पुस्तक—हैं। । .
‘मूरख समझवान’ -मूर्खो की सम्भव ।
१८५७ में दिल्ली लेने के बद अँगरेज सरकार द्वारा ख़रीदी
गई पुस्तकों में मिली रचना , सूचीपत्र का नं% १०४०।
Satyana raya nacadika पुरागयो से संग्रहीत, ‘इतिहास
समच्चयों का एक अध्याय ।—आगरा अठपेजी।
सुजान शतक’ बुद्धिमान के सो ।
सुयोग कवि और संगीतगअय, मुहम्मद शाइ के मुन्शी, आनन्द
घन, कायथ, जो नादिर शाह द्वारा मथुरा की लूट में मारे गए, द्वारा
पद्यो में हिन्दी रचना ।
सोने लोहे का किस्सा, या भगडा और लोहे की कथा
या दो धातुओं में वादविवाद, नजीर ( वली मुहम्मद ) कृत
हिन्दी में I-आगरा१८६७, ८। अठवेजी पृष्ठ ; दूसरी
संस्करण १८६८ का, दिल्ली .. .
जे०, ‘लौग' केटेंलोग़ ५० ४३।
हिन्दी ( खड़ी बोली ) में स्त्री-शिक्षा की व्याख्या ।—कलकता
१८२२। अठपेजी , स्कूल बुक सोसायटी ।
अतिरिक्त अंश
( Addenda )
( प्रथम संस्करण के परिशिष्ट में 4 चिन्हित ग्रंथ दूसरे संस्करण के इस अतिरिक्त अंश में हैं। इसलिए उनका यहां उल्लेख नहीं किया गय। 1 निम्नलिखित प्रथम</section><footer data-mw-proofreadpage-wrapper="">
</footer></article>