पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५३८

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, परिशिष्ट ४ ( अनुवादक डा. जोड़ा गया हैं [ वह अंश ज मूल के प्रथम चंद्रा लूिखमाग में है, किन्तु जो न मूल के प्रथम संस्करण के प्रथम भाग और न मूल के द्वितीय संस्करण के किसी भाग के मुख्यांश में है।-अनुऽ ] मधुकर साह. छप्पय राजपुत्रों में, मधुकर उनमें से हैं जिन्होंने विष्णु के भक्तों का श्रत्यधिक आदर किया। उन्होंने मथुरा और मेड़ता के विष्णु-भक्तों का, जिन्हें भाव- श्यकता थी, और जिन्होंने अपने कामक्रोध के विरुद्ध सफलतापूर्वक संघर्ष लिया था, पोषण क्रियां ॥ राम और शरी के सेवक अन्य देव ताओं से संबंधित संप्रदायों के प्रसादों को नष्ट होते देख कर संतुष्ट थे। क्रम सिंह ने छपनी इच्छानुसार, उच्च अंादपूई नायक, त्रिलोकी के राजा और पवित्र कृत्यों के पूर्ण करने वाले, राम का अंत लिया है और परमेश, अमर स्वामी, दृश्य नायक, कान्हर ( कृष्ण ) ने मधुकर साहू को सर्वस्त्र दिया है। . . राजपुत्रों में, मधुकर उनमें से हैं जिन्होंने विष्णु के भक्तों का अत्यधिक श्रादर किया ।" ५ ‘साह, शाहबादशाह के स्थान पर है: 'बादशाह' को ‘पातसाह’ भी कहा जाता है। मेरे विचार से मधुकर वो मधु सिंह हैं जिन्होंने १६ वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में शासन किया । २ ऐसा प्रतीत होता है कि यह दूसरा नाम मधुकर का ही है । वे मूल लुम्पक इस प्रकार है : . ‘भकन को आदर अधिक राजबंश में इन कियो। क, च