पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/५४०

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परिशिष्ट ४.. [ ३८५ + और स्नेहपूर्ण नारी के आलिंगन कमाता है ।-—जब वह मिल जाता है, तो विष्णु के भक्तों को कथाएँसुनझुए अश्रु-होती है..। यदि यह सुख साधुओं को मिल जाय ताँ उग की आकृति परिवर्तित हो जाय,' और दोन याप्स को लङा औरमेद* प्राप्त हो जायें । पुराणों में शिव ने जो कहा है वह इस प्रकार है : संस्कृत श्लोक संप्रदायों में सवोतम विष्णुसंप्रदाय है, किन्तु ओो और भी अधिक सुफल चाहते हैं, वह उनके दासों का श्रादर करने से मिलता है । । . ' अर्थात् , वे प्रसन्न होंगे' ' २ ब्राह्म धर्मावलंब भारत के दो प्रधान पवित्र स्थान । फा० - २५