पृष्ठ:हिंदुई साहित्य का इतिहास.pdf/६६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ प्रमाणित है।
[३९
भूमिका


'रेख़ता' (मिश्रित) पद्य लिखने की कई विधियाँ हैं : १. एक मिसरा फ़ारसी और एक हिन्दी[१] में लिखा जा सकता है, जैसा ख़ुसरो ने अपने एक परिचित क़िता (quita) में किया है। २. इसका उल्टा, पहला मिसरा हिन्दी में, और दूसरा फ़ारसी में, भी लिखा जा सकता है जैसा मीर मुईज़ (Mir Muîzz) ने किया है।[२] ३. केवल शब्दों का, वह भी फ़ारसी क्रियाओं का प्रयोग किया जा सकता है[३], किन्तु यह शैली सुरुचिपूर्ण नहीं समझी जाती, 'क़बीह'। ४. फ़ारसी संयुक्त शब्दों का प्रयोग किया जा सकता है, किन्तु उनका प्रयोग सोच-समझ कर, और


  1. यह अनिश्चित शब्द, जिसका ठीक-ठीक अर्थ 'भारतीय' है, हिन्दुस्तानी के लिए प्रयुक्त होता है, तथा विशेषतः, जैसा कि मैंने अपनी 'Rudiments de la langue hindoui' (हिन्दुई भाषा के प्राथमिक सिद्धान्त) की भूमिका में बताया है, हिन्दुओं को देवनागरी अक्षरों में लिखित आधुनिक बोली (dialecte) के लिए।
  2. एक अरबी के मिसरे में और एक हिन्दुस्तानी के मिसरे में रचित पद्य भी पाए जाते हैं। उसका एक उदाहरण मैंने अपने छंदों के विवरण (Mémoire sur le mtérique) में उद्धृत किया है। ऐसे मिश्रितों के उदाहरण फ़्रांसीसी में मिलते हैं; अन्य के अतिरिक्त पानार (Panard) की रचनाओं में पाए, जाते हैं। फ़ारसी में भी ऐसे पद्य पाए जाते हैं जिनका एक मिसरा अरबी में, और दूसरा फ़ारसी में है। उन्हें 'मुलम्मा' कहते हैं। देखिए, ग्लैड्‌विन, 'Dissertation on the Rhetorics etc. of the Persians' (फ़ारस वालों के काव्यशास्त्र आदि पर दावा)।
  3. संभवतः लेखक कुछ ऐसे पद्यों का उल्लेख करना चाहता है जो इस समय फ़ारसी और हिन्दी में हैं; चियब्रेरा (Chiabrera) के लैटिन-इटैलियन दो चरणों वाले छंद के लगभग समान, जिसे मेरे पुराने साथी श्री यूसेब द सल (M. Eusébe de Salles), ने मेरी पहली जिल्द पर एक विद्वत्तापूर्ण लेख में उद्धृत किया है :

    In mare irato, in subita procella
    Invoco te, nostra benigna stella.